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मनोज कुमार: बॉलीवुड के 'भारत कुमार' का निधन, सिनेमा में देशभक्ति की एक नई परिभाषा

मनोज कुमार, जिन्हें हिंदी सिनेमा में 'भारत कुमार' के नाम से जाना जाता है, का निधन हो गया है। 87 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, जिससे बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। वह केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि देशभक्ति की भावना को अपने काम के माध्यम से जीवित रखने वाले एक विचार थे। उनकी अंतिम फिल्म 'मैदान-ए-जंग' थी, और उन्होंने सिनेमा से दूरी बना ली थी। उनके योगदान और विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। जानें उनके अंतिम संस्कार की जानकारी और उनके जीवन के बारे में।
 

मनोज कुमार का निधन

मनोज कुमार: बॉलीवुड के 'भारत कुमार' का निधन, सिनेमा में देशभक्ति की एक नई परिभाषा

मनोज कुमार: हिंदी सिनेमा के महानायक: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के उन चुनिंदा सितारों में से एक, जिन्होंने देशभक्ति को अपने काम के माध्यम से जीवित रखा, मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। 87 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, जिससे बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई।


मनोज कुमार का दृष्टिकोण

मनोज कुमार केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा का प्रतीक थे, जिन्होंने अपने फिल्मों के माध्यम से देशप्रेम की भावना को हर दिल तक पहुंचाया। उनकी फिल्मों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने कम फिल्मों में काम करने का निर्णय लिया था? उनका मानना था कि फिल्मों की गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है।


धर्मेंद्र और शशि कपूर पर टिप्पणी

मनोज कुमार का दृष्टिकोण: 'लालची' कहे गए सितारे

मनोज कुमार उस समय के कलाकार थे, जब सिनेमा में कला और संदेश को प्राथमिकता दी जाती थी। एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने अपने समकालीन अभिनेताओं पर खुलकर बात की थी। धर्मेंद्र और शशि कपूर का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, “मैंने अपने पूरे करियर में केवल 35 फिल्में कीं, जबकि मेरे साथ के कलाकारों ने 300-300 फिल्में कीं। मैं न तो लालची हूं, न ही लालची अभिनेता।” उनके इस बयान से स्पष्ट था कि वह फिल्मों को केवल कमाई का साधन नहीं मानते थे, बल्कि एक जिम्मेदारी समझते थे।


अंतिम फिल्म और सिनेमा से दूरी

मनोज कुमार की अंतिम फिल्म

मनोज कुमार ने आखिरी बार 1995 में 'मैदान-ए-जंग' फिल्म में अभिनय किया। इसके बाद 1999 में उन्होंने 'जय हिंद' का निर्देशन किया, जो उनकी अंतिम फिल्म साबित हुई। इसके बाद वह फिल्म इंडस्ट्री से दूर हो गए। उनके प्रशंसक उनकी एक झलक के लिए तरसते रहे, लेकिन उन्होंने सिनेमा से किनारा कर लिया।


एक प्रेरणा जो हमेशा जिंदा रहेगी

मनोज कुमार का योगदान

मनोज कुमार का जाना न केवल बॉलीवुड के लिए, बल्कि उन सभी के लिए एक बड़ा नुकसान है, जो उनकी फिल्मों से प्रेरित होते थे। वह सादगी और सच्चाई के प्रतीक थे। उनके शब्द आज भी गूंजते हैं कि कला को लालच से ऊपर रखना चाहिए। उनकी 35 फिल्में भले ही संख्या में कम हों, लेकिन हर एक ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। आज जब हम उन्हें याद करते हैं, तो उनके योगदान और उनकी सोच को सलाम करने का मन करता है।


अंतिम संस्कार की जानकारी

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