मनोज कुमार का अंतिम विदाई: भारतीय सिनेमा के इस दिग्गज को मिला राजकीय सम्मान
मनोज कुमार का अंतिम संस्कार
मुंबई में, 5 अप्रैल को भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित अभिनेता मनोज कुमार का अंतिम संस्कार पवन हंस श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उन्हें इक्कीस तोपों की सलामी दी गई। इस अवसर पर फिल्म उद्योग के कई सितारे उपस्थित हुए और भावुक होकर उन्हें विदाई दी।
मनोज कुमार पिछले कुछ हफ्तों से मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
अंतिम संस्कार में अभिनेता जायद खान ने कहा, “मनोज जी का भारतीय फिल्म जगत में एक अद्वितीय इतिहास है। वह एक ऐसे सितारे थे जो मानवता का सच्चा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि लोगों के दिलों में बसने के लिए क्या करना चाहिए। हम चाहते हैं कि भविष्य में और भी मनोज कुमार हों जो देश का मान बढ़ाएं। मेरे पिता (संजय खान) और मनोज जी के बीच एक विशेष संबंध था।”
अभिनेता बिंदू दारा सिंह ने कहा, “मनोज कुमार एक लीजेंड हैं। वह भारत की पहचान हैं। उन्होंने अपने 87 वर्षों में देश और फिल्म उद्योग को बहुत कुछ दिया। उन्होंने इज्जत, प्यार, दौलत और शोहरत कमाई।”
बिंदू ने आगे कहा, “एक दिन सभी को जाना है। उनकी अंतिम कुछ साल कठिन रहे, लेकिन वह शांति से विदा हुए। वह हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे। मैं सरकार का धन्यवाद करता हूं कि उन्हें जो सम्मान मिला, वह पूरी तरह से डिजर्व करते थे। यह एक देशभक्त के लिए एक संदेश है कि देशभक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।”
मनोज कुमार, जो देशभक्ति से भरी फिल्मों के लिए जाने जाते थे, का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने बताया कि वह कुछ समय से बीमार थे और 21 फरवरी को अस्पताल में भर्ती हुए थे।
कुणाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके पिता 2 से 3 सप्ताह से बीमार थे। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
कुणाल ने मनोज कुमार की फिल्मों के बारे में कहा कि उनके पिता वास्तविक जीवन में सभी से जुड़े थे। उन्होंने 'उपकार', 'रोटी कपड़ा और मकान', 'पूरब पश्चिम' जैसी फिल्में दीं, जो उस समय भी प्रासंगिक थीं और आगे भी रहेंगी।
करीब 9:30 बजे मनोज जी का पार्थिव शरीर कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल से उनके घर लाया गया, जहां अंतिम संस्कार और प्रार्थना की गई। फिर फूलों से सजे वाहन में पार्थिव शरीर को श्मशान ले जाया गया, जहां बेटे कुणाल गोस्वामी ने मुखाग्नि दी।