बिहार में हिजाब विवाद: क्या है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका?
हिजाब विवाद का आगाज़
मुंबई, 24 दिसंबर। बिहार में 'हिजाब विवाद' ने तूल पकड़ लिया है। यह मामला तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 दिसंबर को आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र देने के दौरान एक महिला डॉक्टर, नुसरत परवीन, का हिजाब हटा दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, जिससे विवाद बढ़ गया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के इस कृत्य की कड़ी निंदा की और माफी की मांग की। वहीं, एनडीए के कुछ नेता इस घटना का समर्थन करते नजर आए। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की प्रसिद्ध अभिनेत्री आम्रपाली दुबे ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी।
आम्रपाली ने कहा, ''हर व्यक्ति के कपड़े उसकी व्यक्तिगत पसंद होते हैं। यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो उचित कार्रवाई होनी चाहिए। दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना आवश्यक है।''
जावेद अख्तर की प्रतिक्रिया
इससे पहले, मशहूर लेखक और कवि जावेद अख्तर ने भी इस विवाद की आलोचना की और कहा कि मुख्यमंत्री को महिला से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''जो भी मुझे जानता है, वह जानता है कि मैं पर्दा की पारंपरिक अवधारणा के खिलाफ हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नीतीश कुमार का यह कृत्य सही है। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।''
विवाद का विस्तार
यह विवाद बिहार के आयुष डॉक्टर नियुक्ति कार्यक्रम में शुरू हुआ, जब एक मुस्लिम महिला डॉक्टर हिजाब पहनकर आई। मुख्यमंत्री ने उसके चेहरे से हिजाब हटा दिया। इस घटना ने कई सवाल उठाए कि क्या हिजाब पहनना सरकारी नियमों के अनुरूप है या नहीं।
यह मामला न केवल बिहार में बल्कि देश-विदेश में भी चर्चा का विषय बन गया है। विपक्षी दलों, जैसे राजद और कांग्रेस, ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा और उनके इस्तीफे की मांग की।
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