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क्या है सूरज सिंह की फिल्म निर्माण की चुनौती? जानें उनके अनुभव और आगामी प्रोजेक्ट्स

सूरज सिंह, जो 'सलाम वेंकी' और 'एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' जैसी फिल्मों के निर्माता हैं, ने फिल्म निर्माण की चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने अपनी नई फिल्म 'राहु-केतु' के बारे में भी बताया, जो 16 जनवरी 2026 को रिलीज होगी। सूरज ने बताया कि निर्माता की भूमिका में टीम प्रबंधन, बजट और दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा करना शामिल है। उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव और बदलते ट्रेंड्स पर भी अपने विचार साझा किए। जानें उनके अनुभव और फिल्म निर्माण की प्रक्रिया के बारे में।
 
क्या है सूरज सिंह की फिल्म निर्माण की चुनौती? जानें उनके अनुभव और आगामी प्रोजेक्ट्स

सूरज सिंह: निर्माता की चुनौतियों का सामना


मुंबई, 26 दिसंबर। भारतीय फिल्म उद्योग में निर्माता की भूमिका न केवल रोमांचक है, बल्कि यह कई चुनौतियों से भरी भी है। फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में ध्यान देने के साथ-साथ, टीम प्रबंधन, बजट, कलाकारों की आवश्यकताएं और दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा करना भी शामिल होता है। इस संदर्भ में, 'सलाम वेंकी' और 'एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' जैसी फिल्मों के निर्माता सूरज सिंह ने अपनी चुनौतियों के बारे में खुलकर चर्चा की।


सूरज सिंह वर्तमान में अपनी नई फिल्म 'राहु-केतु' को लेकर सुर्खियों में हैं, जो 16 जनवरी 2026 को रिलीज होने वाली है। उन्होंने बी लाइव प्रोडक्शन के सह-संस्थापक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।


जब सूरज से उनके फिल्मी करियर की शुरुआत के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, "मैंने 25 साल पहले टीवी इंडस्ट्री में कदम रखा था और शोभा कपूर तथा एकता कपूर के साथ काम किया। इस दौरान मैंने टीवी, फिल्मों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का अनुभव प्राप्त किया। इसके बाद मैंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया और अरुण पांडे के साथ मिलकर 'एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' बनाई। मैंने मराठी फिल्मों का निर्माण भी किया और अब 'सलाम वेंकी' का निर्माण किया है।"


जब उनसे पूछा गया कि बी लाइव प्रोडक्शन के तहत सबसे बड़ी चुनौती क्या रही, तो सूरज ने कहा, "हर कदम पर चुनौतियां होती हैं। स्वतंत्र निर्माता बनने के लिए प्रोडक्शन हाउस स्थापित करना और बड़े कलाकारों के साथ काम करना आसान नहीं है। सही कहानियों का चयन करना, भरोसेमंद लेखक और निर्देशक खोजना, और यह सुनिश्चित करना कि फिल्म समय पर तैयार हो और निवेश वापस आए, ये सभी कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हैं।"


सूरज ने यह भी बताया कि किसी स्क्रिप्ट को अंतिम रूप देने में उनका ध्यान दो मुख्य बातों पर होता है। पहली, फिल्म में मनोरंजन होना चाहिए, चाहे वह संदेश देने वाली फिल्म हो। दूसरी, कहानी को दर्शकों से जोड़ना आवश्यक है। उनका मानना है कि जब आप निर्माता के रूप में दर्शकों को किसी फिल्म में आमंत्रित करते हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी बन जाती है कि वे कहानी से जुड़ सकें।


उन्होंने कहा, "कई बार ऐसी फिल्में बनती हैं जो कागज पर बहुत मजबूत लगती हैं, लेकिन दर्शकों से अपेक्षित कनेक्शन नहीं बना पातीं। कोई भी निर्माता या निर्देशक यह नहीं सोचता कि उनकी फिल्म फ्लॉप होगी। सभी का उद्देश्य हिट फिल्म बनाना होता है।"


सूरज ने आगे कहा, "बड़े कलाकारों और क्रिएटिव टीम के साथ काम करना भी चुनौतीपूर्ण होता है। प्रोड्यूसर को सभी मुद्दों का सामना करना पड़ता है, चाहे वह निर्देशक हो, संगीत निर्देशक हो, या अभिनेता। प्रोड्यूसर का काम केवल समस्याओं को सुलझाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि फिल्म समय पर बने और सभी लोग संतुष्ट रहें।"


उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और बदलते ट्रेंड्स पर भी अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा, "ओटीटी के आगमन ने दर्शकों की सोच को बदल दिया है। पहले दर्शक किसी भी फिल्म को थोड़ी बहुत गुणवत्ता के साथ देख लेते थे, लेकिन अब केवल स्मार्ट, मनोरंजक और संबंधित फिल्में ही सफल हो रही हैं।"


सूरज सिंह के अनुसार, निर्माता होने का असली अर्थ केवल फिल्म बनाना नहीं है, बल्कि पूरी प्रक्रिया को समझदारी और ईमानदारी से आगे बढ़ाना है। यह एक कला है कि आप कहानी को दर्शकों तक पहुंचाएं, टीम को संतुलित करें, और हर चुनौती का सामना करके फिल्म को सफल बनाएं।


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