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क्या है सूरज सिंह का फिल्म निर्माण का असली मंत्र? जानें उनकी चुनौतियों और अनुभवों के बारे में!

सूरज सिंह, जो 'सलाम वेंकी' और 'एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' जैसी फिल्मों के निर्माता हैं, ने फिल्म निर्माण की चुनौतियों और अपने अनुभवों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स से अपने करियर की शुरुआत की और अब अपनी आगामी फिल्म 'राहु-केतु' पर काम कर रहे हैं। सूरज ने बताया कि प्रोडक्शन में सही कहानियों का चयन और दर्शकों से जुड़ाव बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। जानें उनके विचार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और बदलते ट्रेंड्स पर भी।
 
क्या है सूरज सिंह का फिल्म निर्माण का असली मंत्र? जानें उनकी चुनौतियों और अनुभवों के बारे में!

सूरज सिंह: निर्माता की भूमिका और चुनौतियाँ




मुंबई, 26 दिसंबर। भारतीय सिनेमा में प्रोड्यूसर की भूमिका न केवल रोमांचक है, बल्कि यह कई चुनौतियों से भरी भी है। फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में ध्यान देने के साथ-साथ, प्रोड्यूसर को टीम प्रबंधन, बजट, कलाकारों की आवश्यकताओं और दर्शकों की अपेक्षाओं को भी पूरा करना होता है। इस संदर्भ में, 'सलाम वेंकी' और 'एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' जैसी फिल्मों के निर्माता सूरज सिंह ने अपने अनुभव साझा किए।


सूरज सिंह वर्तमान में अपनी आगामी फिल्म 'राहु-केतु' के लिए चर्चा में हैं, जो 16 जनवरी 2026 को रिलीज होगी। उन्होंने बी लाइव प्रोडक्शन के सह-संस्थापक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।


जब सूरज से उनके फिल्मी करियर की शुरुआत के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, "मैंने 25 साल पहले टीवी इंडस्ट्री में कदम रखा था। शोभा कपूर और एकता कपूर के साथ काम करते हुए मैंने टीवी, फिल्मों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का अनुभव प्राप्त किया। इसके बाद मैंने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू किया और अरुण पांडे के साथ 'एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' बनाई।"


सूरज ने बताया कि बी लाइव प्रोडक्शन के तहत सबसे बड़ी चुनौती क्या रही। उन्होंने कहा, "हर कदम पर चुनौतियाँ होती हैं। स्वतंत्र निर्माता बनने के लिए प्रोडक्शन हाउस खोलना और बड़े कलाकारों के साथ काम करना आसान नहीं है। सही कहानियों का चयन करना और भरोसेमंद राइटर और डायरेक्टर को खोजना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है।"


उन्होंने यह भी कहा कि किसी स्क्रिप्ट को अंतिम रूप देने में उनका ध्यान दो महत्वपूर्ण बातों पर होता है: एक, फिल्म में मनोरंजन होना चाहिए, और दो, कहानी दर्शकों से जुड़ाव रखे। उनका मानना है कि जब आप दर्शकों को किसी फिल्म में आमंत्रित करते हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी बन जाती है कि वे कहानी से जुड़ सकें।


सूरज ने कहा, "कई बार ऐसी फिल्में बनती हैं जो कागज पर मजबूत लगती हैं, लेकिन दर्शकों से कनेक्शन नहीं बना पातीं। निर्माता और निर्देशक का उद्देश्य हमेशा हिट फिल्म बनाना होता है।"


उन्होंने आगे कहा, "बड़े कलाकारों और क्रिएटिव टीम के साथ काम करना भी चुनौतीपूर्ण होता है। प्रोड्यूसर को सभी मुद्दों का समाधान करना होता है और सुनिश्चित करना होता है कि फिल्म समय पर बने।"


सूरज ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, "ओटीटी के आगमन से दर्शकों का नजरिया बदल गया है। अब केवल स्मार्ट और मनोरंजक फिल्में ही सफल हो रही हैं।"


उनके अनुसार, निर्माता का असली मतलब केवल फिल्म बनाना नहीं है, बल्कि पूरी प्रक्रिया को समझदारी और ईमानदारी से आगे बढ़ाना है।


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