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क्या है संदीप सिंह की सुरक्षा की कहानी? मुंबई में आग से बचने वाले फिल्ममेकर की दिलचस्प दास्तान!

मुंबई के अंधेरी वेस्ट में संदीप सिंह के अपार्टमेंट में आग लगने की घटना ने सभी को चौंका दिया। इस आग में संदीप सुरक्षित रहे, और उनकी सुरक्षा की कहानी ने उनके परिवार और प्रशंसकों को राहत दी। जानें संदीप सिंह के करियर और उनकी फिल्मों के बारे में, जो न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी गहरी छाप छोड़ती हैं।
 
क्या है संदीप सिंह की सुरक्षा की कहानी? मुंबई में आग से बचने वाले फिल्ममेकर की दिलचस्प दास्तान!

मुंबई में भीषण आग की घटना


मुंबई के अंधेरी वेस्ट स्थित सोरेंटो अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में गुरुवार को एक गंभीर आग लग गई, जिसने 12, 13 और 14वीं मंजिल को प्रभावित किया। इस अपार्टमेंट की 14वीं मंजिल पर प्रसिद्ध फिल्म निर्माता संदीप सिंह का निवास भी है।


संदीप सिंह ने कई चर्चित हिंदी फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया है, जिनमें 'मैरी कॉम', 'सरबजीत', 'अलीगढ़', 'झुंड', 'स्वतंत्र्या वीर सावरकर', 'सफेद' और 'छत्रपति शिवाजी महाराज' शामिल हैं।


हाल ही में, संदीप सिंह हर्निया की सर्जरी के बाद कोकिलाबेन हॉस्पिटल से छुट्टी लेकर अपने घर लौटे थे। इस आगजनी की घटना में वह सुरक्षित रहे। अभिनेत्री अंकिता लोखंडे और उनके पति विक्की जैन ने तुरंत उन्हें अपने घर ले जाकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की।


संदीप सिंह के सुरक्षित रहने की खबर ने उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों को राहत दी।


संदीप का फिल्म उद्योग में एक लंबा और सफल करियर रहा है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की और बाद में भंसाली प्रोडक्शन का हिस्सा बने। इसके बाद उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी, लेजेंड स्टूडियो की स्थापना की। उनकी प्रोड्यूस की गई फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, बल्कि आलोचकों से भी प्रशंसा प्राप्त की।


'मैरी कॉम' में प्रियंका चोपड़ा की अदाकारी ने दर्शकों को प्रभावित किया, जबकि 'सरबजीत' और 'अलीगढ़' जैसी फिल्मों ने सामाजिक मुद्दों पर गहरी छाप छोड़ी। 'झुंड' और 'स्वतंत्र्या वीर सावरकर' जैसी फिल्मों में उनकी मेहनत और इतिहास के प्रति संवेदनशीलता स्पष्ट है।


संदीप केवल प्रोड्यूसर नहीं, बल्कि एक निर्देशक भी हैं। उन्होंने 'सफेद' फिल्म से निर्देशन में कदम रखा, जिसे काफी सराहा गया। इसके अलावा, उन्होंने नाथूराम गोड्से पर आधारित 'गोड्से' नामक फिल्म का निर्देशन किया, जो उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वह नाथूराम की कहानी को दर्शकों के सामने लाना चाहते थे, क्योंकि यह कहानी सभी को जाननी चाहिए।


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