क्या है राज कपूर और रूस के बीच का अनोखा रिश्ता? जानें हिंदी सिनेमा की इस दिलचस्प कहानी को!
भारत और रूस के सांस्कृतिक संबंध
नई दिल्ली, 5 दिसंबर। भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक संबंधों की जड़ें काफी गहरी और विविधतापूर्ण हैं, जो आपसी सम्मान पर आधारित हैं। सोवियत संघ के दौर से ही इन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता आ रहा है। चाहे वह फिल्म, संगीत, नृत्य या साहित्य का क्षेत्र हो, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे को प्रभावित किया है। यह संबंध इस हद तक मजबूत हैं कि रूस में भारत दिवस और भारत में रूसी संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते हैं।
राजनयिक संबंधों की मजबूती
संस्कृति, राजनीति, व्यापार, और हिंदी सिनेमा के माध्यम से अप्रैल 1947 से शुरू हुए भारत-रूस के राजनयिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं।
हिंदी सिनेमा की बात करें तो, भारतीय फिल्मों और कलाकारों को रूस में समय-समय पर सराहा गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि हिंदी फिल्में हमेशा भाईचारे, अपनत्व, संस्कृति और भावनाओं से भरी होती हैं। दिवंगत अभिनेता राज कपूर को रूस में विशेष सम्मान मिला है।
राज कपूर का प्रभाव
भारतीय सिनेमा और रूसी दर्शकों के बीच का प्रेम संबंध दशकों पुराना है, और इसका श्रेय राज कपूर को दिया जाता है। उनकी फिल्में रूस में बेहद लोकप्रिय थीं, और उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों की भीड़ जुट जाती थी। वे पहले बॉलीवुड अभिनेता थे जिन्हें रूस में बिना वीजा के प्रवेश की अनुमति मिली थी, और उनके सम्मान में वहां एक प्रतिमा भी स्थापित की गई।
राज कपूर की फिल्म 'आवारा' 1951 में रिलीज हुई थी, जिसमें उनका गाना 'सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी' रूस में बेहद पसंद किया गया। इस फिल्म का प्रीमियर 1954 में हुआ, और इसे देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी थी। फिल्म का इतना क्रेज था कि 'सर पे लाल टोपी रूसी' वहां का लोकल एंथम बन गया।
राज कपूर की यात्रा
फिल्म 'आवारा' की सफलता के बाद राज कपूर को रूस जाना पड़ा। उनके पास वीजा नहीं था, लेकिन उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें बिना वीजा के प्रवेश की अनुमति मिली। जब वे रूस पहुंचे, तो एयरपोर्ट पर हजारों प्रशंसकों ने उन्हें घेर लिया, और उनकी गाड़ी को अपने कंधों पर उठाकर आगे बढ़ाया। 'आवारा' पहली फिल्म थी जिसे रूस में कल्चर इम्पोर्ट के रूप में रिलीज किया गया, जिसके बाद देव आनंद और दिलीप कुमार की फिल्में भी वहां प्रदर्शित होने लगीं।
राज कपूर की 'मेरा नाम जोकर' (1970) और 'श्री 420' भी रूस में रिलीज हुईं। 'मेरा नाम जोकर' में उन्होंने रूसी अभिनेत्री सेनिया लावोव्ना रियाबिनकिना के साथ काम किया। हिंदी फिल्मों की रूस में लोकप्रियता का एक और कारण यह था कि उस समय रूस में प्रोपेगैंडा फिल्मों का चलन था, जो नीरस होती थीं। इसके विपरीत, राज कपूर की फिल्मों में खूबसूरत वादियां और रोमांस ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
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