Movie prime

क्या है एंटी-डंपिंग ड्यूटी? जानें इसके प्रभाव और प्रक्रिया

एंटी-डंपिंग ड्यूटी एक महत्वपूर्ण आर्थिक उपाय है, जिसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों की रक्षा करना है। यह तब लागू होती है जब कोई विदेशी कंपनी अपने उत्पादों को घरेलू कीमतों से कम पर बेचती है। इस लेख में, हम एंटी-डंपिंग ड्यूटी की परिभाषा, प्रक्रिया, और भारत में इसके उदाहरणों पर चर्चा करेंगे। जानें कि यह कैसे स्थानीय उद्योगों को सुरक्षित रखती है और वैश्विक व्यापार में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
 

एंटी-डंपिंग ड्यूटी का परिचय

क्या है एंटी-डंपिंग ड्यूटी? जानें इसके प्रभाव और प्रक्रिया

Anti Dumping Duty (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Anti Dumping Duty (फोटो साभार- सोशल मीडिया)


एंटी-डंपिंग ड्यूटी: आज के वैश्विक व्यापार में, जब देशों के बीच सीमाएं धुंधली हो गई हैं, प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई है। जब कोई देश या कंपनी जानबूझकर अपने उत्पाद को घरेलू मूल्य से कम पर दूसरे देश में बेचता है, तो इसे 'डंपिंग' कहा जाता है। यह स्थानीय उद्योगों को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में सरकारें 'एंटी-डंपिंग ड्यूटी' नामक कर लगाकर इस अनुचित व्यापारिक व्यवहार से बचने का प्रयास करती हैं।


एंटी-डंपिंग ड्यूटी की परिभाषा

एंटी-डंपिंग ड्यूटी एक प्रकार का संरक्षणात्मक कर है, जिसे सरकार उन विदेशी वस्तुओं पर लगाती है, जिनकी कीमत घरेलू बाजार की तुलना में बहुत कम होती है। इसका मुख्य उद्देश्य उन विदेशी उत्पादों को घरेलू बाजार में सस्ती कीमतों पर बिकने से रोकना है, ताकि स्थानीय उद्योगों और श्रमिकों की सुरक्षा हो सके।


डंपिंग तब होती है जब कोई कंपनी अपने उत्पादों को घरेलू बाजार की तुलना में दूसरे देश में बहुत कम कीमत पर बेचती है। यह एक अनुचित व्यापारिक व्यवहार माना जाता है, जिससे आयात करने वाले देश की कंपनियों को नुकसान हो सकता है।


डंपिंग की प्रक्रिया

डंपिंग का अर्थ है जब कोई विदेशी कंपनी अपने उत्पादों को दूसरे देश में इतनी कम कीमत पर बेचती है कि वह उत्पादन लागत से भी कम हो। इसका उद्देश्य स्थानीय उत्पादकों को प्रतिस्पर्धा से बाहर करना होता है।


उदाहरण: यदि चीन की कोई कंपनी अपने देश में स्टील 100 रुपए किलो में बेचती है, लेकिन भारत में वही स्टील 60 रुपए में बिकता है, तो इसे डंपिंग कहा जाएगा।


विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका

WTO ने एंटी-डंपिंग उपायों को वैध माना है, बशर्ते कि इनका उपयोग निष्पक्षता से हो और घरेलू उद्योगों को हुए वास्तविक नुकसान के आधार पर किया जाए। इसका उद्देश्य वैश्विक व्यापार में संतुलन बनाए रखना है।


एंटी-डंपिंग ड्यूटी के उद्देश्य

घरेलू उद्योग की रक्षा


इसका मुख्य उद्देश्य देश के उद्योगों को सस्ती विदेशी वस्तुओं से होने वाले नुकसान से बचाना है।


रोज़गार की सुरक्षा


जब स्थानीय उद्योग बंद होते हैं, तो बेरोजगारी बढ़ती है। एंटी-डंपिंग ड्यूटी इन उद्योगों को बचाकर रोजगार की रक्षा करती है।


स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाए रखना


यह बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकती है, जिससे केवल गुणवत्ता और उचित मूल्य वाले उत्पाद ही टिक पाते हैं।


भारत में एंटी-डंपिंग ड्यूटी की प्रक्रिया

भारत में एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की प्रक्रिया डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज़ (DGTR) द्वारा संचालित की जाती है। इसमें निम्नलिखित चरण होते हैं:


शिकायत दर्ज


जब कोई घरेलू निर्माता या उत्पादक समूह यह महसूस करता है कि किसी उत्पाद की डंपिंग हो रही है, तो वह DGTR में शिकायत दर्ज कराता है।


प्राथमिक जांच


DGTR यह जांच करता है कि शिकायत पर्याप्त है या नहीं।


डंपिंग का निर्धारण


संबंधित विदेशी कंपनियों से कीमत, निर्माण लागत और घरेलू बिक्री की जानकारी ली जाती है।


घरेलू उद्योग को हुए नुकसान का विश्लेषण


यदि यह सिद्ध हो जाए कि घरेलू उद्योग को वाकई नुकसान हुआ है, तो एंटी-डंपिंग ड्यूटी की सिफारिश की जाती है।


सरकार द्वारा निर्णय


वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की अनुमति के बाद ड्यूटी लागू होती है।


भारत में एंटी-डंपिंग ड्यूटी के उदाहरण

चीन से आयातित स्टील पर शुल्क


2015 में भारत ने चीन से आयातित सस्ते स्टील पर 500% तक एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई।


सोलर पैनल


चीन और मलेशिया से सस्ते सोलर पैनल आने पर भारत ने 25% तक एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई।


फाइबर, टायर, केमिकल्स


कई बार टायर, सिंथेटिक फाइबर और केमिकल्स पर डंपिंग के आरोप लगने पर भी ड्यूटी लगाई गई है।


भारत में एंटी-डंपिंग से संबंधित कानून

भारत में एंटी-डंपिंग ड्यूटी का प्रावधान कस्टम्स टैरिफ एक्ट, 1975 की धारा 9A में किया गया है।


प्रमुख संस्थान:


DGTR (Directorate General of Trade Remedies): जांच एजेंसी


CBIC (Central Board of Indirect Taxes and Customs): ड्यूटी वसूली करने वाली संस्था


वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय: समग्र निगरानी


वर्तमान स्थिति और चुनौतियां

हाल के वर्षों में एंटी-डंपिंग ड्यूटी भारत में सक्रिय रूप से लागू की गई है। लेकिन इस प्रणाली के सामने कुछ चुनौतियां हैं:


प्रक्रिया में देरी


जांच पूरी होने में महीनों लगते हैं, तब तक नुकसान हो चुका होता है।


डेटा संग्रह की कठिनाई


विदेशी कंपनियों से सही डेटा प्राप्त करना कठिन होता है।


WTO में विवाद

कई बार भारत पर अन्य देश WTO में शिकायत करते हैं कि वह अनुचित ड्यूटी लगा रहा है।


एंटी-डंपिंग ड्यूटी का उद्देश्य

घरेलू उद्योगों की रक्षा करना जो सस्ती आयातित वस्तुओं के कारण बाजार में नुकसान उठा सकते हैं।


समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना ताकि कोई देश अन्य देशों के बाजार में अनुचित तरीके से अपनी पकड़ न बना सके।


रोजगार की रक्षा करना और देश के आर्थिक संतुलन को बनाए रखना।


भारत में एंटी-डंपिंग ड्यूटी लागू करने की प्रक्रिया

यह प्रक्रिया DGTR द्वारा संचालित होती है, जिसमें घरेलू उद्योगों की ओर से प्राप्त शिकायतों पर डंपिंग की जांच की जाती है।


उपयुक्त एंटी-डंपिंग, काउंटरवेलिंग और सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की सिफारिश की जाती है।


प्रमुख उदाहरण: स्टील डंपिंग केस (2015, अमेरिका)

जून 2015 में अमेरिका की कुछ प्रमुख स्टील कंपनियों ने शिकायत की कि चीन जैसे देशों से स्टील डंपिंग की जा रही है। इसके बाद अमेरिका ने 2016 में चीन से आयातित स्टील पर 522% तक की एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा दी।


भारत में हालिया एंटी-डंपिंग मामलों के उदाहरण

चीन से आयातित सौर उपकरण: घरेलू सौर उद्योग की सुरक्षा के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई।


मलेशिया और वियतनाम से आयातित स्टील उत्पाद: भारी मात्रा में कम कीमत पर स्टील आयात के कारण घरेलू उद्योग को नुकसान पहुँच रहा था।


इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और केमिकल्स: चीन और दक्षिण कोरिया से आयात पर जांच और शुल्क की सिफारिश की गई।


निष्कर्ष

एंटी-डंपिंग ड्यूटी एक महत्वपूर्ण आर्थिक उपकरण है, जिसका उद्देश्य घरेलू उत्पादकों को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाना और निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना है। हालांकि, इसके प्रभावों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि यह घरेलू उद्योगों की रक्षा करते हुए उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार न डाले।


OTT