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क्या ममता कुलकर्णी ने फिर से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की कुर्सी संभाली?

बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने हाल ही में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि फिर से ग्रहण की है। पहले उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन उनकी गुरु डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इसे स्वीकार नहीं किया। ममता ने अपनी वापसी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अपने गुरु की आभारी हैं और भविष्य में अपना जीवन किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म को समर्पित करेंगी। जानें इस दिलचस्प कहानी के बारे में और भी जानकारी।
 

ममता कुलकर्णी की वापसी की चर्चा

क्या ममता कुलकर्णी ने फिर से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की कुर्सी संभाली?


बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री ममता कुलकर्णी इन दिनों सुर्खियों में हैं। भारत लौटने के बाद से उनके बारे में सोशल मीडिया और समाचारों में कई चर्चाएँ चल रही हैं। हाल ही में, यह खबर आई है कि ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की भूमिका फिर से ग्रहण कर ली है। यह सच है कि उन्होंने दो दिन पहले इस पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन अब उन्होंने इसे फिर से स्वीकार कर लिया है।


महामंडलेश्वर के पद पर ममता की वापसी

ममता कुलकर्णी ने तीन दिन पहले इस पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया था और इसके लिए उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया था। लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि उन्हें फिर से महामंडलेश्वर बना दिया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ममता को पुनः इस पद पर नियुक्त किया गया है।


डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का बयान

रिपोर्ट के अनुसार, ममता की गुरु डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया। डॉ. त्रिपाठी ने स्पष्ट किया कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया गया था और वह किन्नर अखाड़े का हिस्सा हैं और रहेंगी। आपको बता दें कि ममता को 24 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी।


ममता का प्रतिक्रिया

ममता कुलकर्णी ने दोबारा इस पद को मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनके गुरु लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर गलत आरोप लगाए थे, जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा दिया। लेकिन उनके गुरु ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।


ममता ने आगे कहा कि उन्होंने अपने गुरु को जो भेंट दी थी, वह उनके लिए थी। महामंडलेश्वर बनने के बाद उन्हें जो छत्र, छड़ी और चंवर मिलता है, उसमें से जो थोड़ा बचा था, उसे उन्होंने भंडारे में समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि इस पद पर पुनः लाने के लिए वह अपने गुरु की आभारी हैं और भविष्य में अपना जीवन किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म को समर्पित करेंगी।


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