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क्या आप जानते हैं भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार माताओं के बारे में?

भारतीय सिनेमा में मां के किरदार निभाने वाली अभिनेत्रियों का योगदान अतुलनीय है। इस मदर्स डे पर, हम उन अदाकाराओं को याद करते हैं जिन्होंने अपने अभिनय से मां के किरदार को जीवंत किया। निरूपा रॉय से लेकर नरगिस और रीमा लागू तक, इन अभिनेत्रियों ने सिनेमा के इतिहास में अपनी छाप छोड़ी है। जानें उनके बारे में और कैसे उन्होंने मातृत्व की परिभाषा को बदल दिया।
 
क्या आप जानते हैं भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार माताओं के बारे में?

मां का प्यार: सिनेमा में मातृत्व का जश्न


मां का प्रेम और उसकी ताकत, चाहे वह असली जीवन में हो या फिल्मी दुनिया में, हमेशा से लोगों पर गहरा प्रभाव डालती आई है। भारतीय फिल्म उद्योग में कई अभिनेत्रियों ने मां के किरदार को बड़े पर्दे पर जीवंत कर अपनी पहचान बनाई है। आज भी जब हम पुरानी फिल्मों को देखते हैं, तो यह सोचते हैं, "मां तो मां होती है..."


कई अभिनेत्रियों ने मां के किरदार को निभाकर सिनेमा के इतिहास में एक विशेष स्थान बनाया है। हालांकि, हम मां के बारे में केवल एक दिन नहीं बात कर सकते, लेकिन मदर्स डे, जो 11 मई को मनाया जाता है, हमें उन अभिनेत्रियों की याद दिलाता है जिन्होंने मां के किरदार को अनोखे तरीके से पर्दे पर जीवित किया।


निरूपा रॉय: मां का असली चेहरा

फिल्म इंडस्ट्री में मां के किरदार के लिए निरूपा रॉय का नाम सबसे पहले आता है। उनके अभिनय ने सिनेमा की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उन्होंने देवानंद, अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र जैसे दिग्गजों के साथ मां का किरदार निभाया। उनकी सबसे यादगार भूमिका "दीवार" में थी, जहां उन्होंने अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की मां का किरदार निभाया।


नरगिस: 'मदर इंडिया' में मां का अमिट चित्रण

नरगिस ने 1957 की फिल्म "मदर इंडिया" में अपनी सशक्त मां के किरदार से सिनेमा को नया आयाम दिया। यह फिल्म न केवल दर्शकों को प्रभावित करने में सफल रही, बल्कि ऑस्कर के लिए भी नामांकित हुई। उनकी मां की भूमिका साहसी और मजबूत थी, जिसने मातृत्व की परिभाषा को बदल दिया।


रीमा लागू: हर रंग में मां का स्वरूप

अभिनेत्री रीमा लागू ने फिल्मों में मां के विभिन्न रंगों को पर्दे पर उतारा। कभी सख्त तो कभी कोमल, उनकी मां की भूमिका ने दर्शकों का दिल जीत लिया। "हम आपके हैं कौन" और "हम साथ-साथ हैं" जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने साबित कर दिया कि वे मां के किरदार को बखूबी निभा सकती हैं।


फरीदा जलाल: ममता से भरी भूमिका

फरीदा जलाल की मीठी आवाज और भोलेपन ने उनकी मां के किरदार को खास बना दिया। "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" और "चोरी-चोरी चुपके-चुपके" जैसी फिल्मों में उन्होंने ममता की भूमिका निभाई, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई है।


अरुणा ईरानी: मां का हर रूप

अरुणा ईरानी का नाम भी मां के किरदार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कई फिल्मों में सौतेली और सरल मां की भूमिका निभाई और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। "बेटा" और "औलाद" जैसी फिल्मों में उनका अभिनय अविस्मरणीय रहा।


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