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ए. राजा: द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभ और दलित अधिकारों के सशक्त प्रवक्ता

ए. राजा, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के प्रमुख नेता, ने समाज के वंचित वर्गों की आवाज को संसद में पहुंचाने का कार्य किया है। उनकी राजनीतिक यात्रा में कई चुनौतियाँ और सफलताएँ शामिल हैं, जिसमें 2G स्पेक्ट्रम विवाद भी शामिल है। जानें उनके जीवन, शिक्षा, और राजनीतिक दृष्टिकोण के बारे में, जो उन्हें एक सशक्त नेता बनाते हैं।
 
ए. राजा: द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभ और दलित अधिकारों के सशक्त प्रवक्ता

ए. राजा का राजनीतिक सफर

राजनीतिक नेता ए. राजा

ए. राजा का जीवन परिचय: द्रविड़ राजनीति में ए. राजा एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने समाज के वंचित वर्गों की आवाज को संसद में पहुंचाने का कार्य किया है। वकालत से राजनीति में कदम रखने वाले राजा ने नीलगिरी जैसी आरक्षित सीट से लगातार चुनाव जीतकर अपनी पहचान बनाई। वे वर्तमान में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) से जुड़े हुए हैं और नीलगिरी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। इसके साथ ही, वे DMK संसदीय दल के मुख्य सचेतक के रूप में भी कार्यरत हैं। राजा संसद की कई महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य भी हैं।

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

ए. राजा: द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभ और दलित अधिकारों के सशक्त प्रवक्ता

ए. राजा का जन्म 10 मई, 1963 को तमिलनाडु के पेरामबलूर जिले के वेल्लोर गांव में हुआ। उनके पिता का नाम एस. के. अंदिमुथु और माता का नाम चिनापिल्लई उर्फ कृष्णमल था। एक साधारण दलित परिवार में जन्मे राजा ने कठिनाइयों का सामना करते हुए शिक्षा प्राप्त की और वकील के रूप में करियर की शुरुआत की।

शिक्षा

राजा ने अपनी बी.एससी. की डिग्री मद्रास विश्वविद्यालय से सम्बद्ध आर्ट्स कॉलेज, मुसिरी से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से कानून (बीएल) की डिग्री हासिल की। उनके प्रारंभिक जीवन में शिक्षा के लिए संघर्ष ने उनके राजनीतिक जीवन की दिशा को भी प्रभावित किया।

राजनीति में कदम

1990 के दशक में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के माध्यम से ए. राजा ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। सामाजिक न्याय और दलित अधिकारों के मुद्दों पर उनकी गहरी समझ ने उन्हें पार्टी का विश्वसनीय चेहरा बना दिया। 1996 में, उन्हें पहली बार नीलगिरी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया, जहाँ से उन्होंने जीत हासिल की।

ए. राजा: द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभ और दलित अधिकारों के सशक्त प्रवक्ता

चुनावी सफलता और संसदीय भूमिका

1996 से अब तक ए. राजा ने पांच बार लोकसभा के लिए चुनाव जीते हैं। नीलगिरी (एससी) सीट पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत रही है कि वे लगातार जनादेश प्राप्त करते रहे हैं।

उनकी संसदीय यात्रा

  • 1996 – 11वीं लोकसभा के लिए पहली बार निर्वाचित।
  • 1999 – 13वीं लोकसभा में दोबारा प्रवेश।
  • 2004 – 14वीं लोकसभा में पुनः निर्वाचित।
  • 2009 – 15वीं लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित।
  • 2019 – 17वीं लोकसभा में पाँचवीं बार जीत दर्ज की।
  • 2024 – 18वीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित।

मंत्री पद पर कार्यकाल

राजा का केंद्रीय मंत्रिमंडल में कार्यकाल विभिन्न मंत्रालयों में रहा है, जो उनके प्रशासनिक कौशल को दर्शाता है।

1999-2000: केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री।

2000-2003: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री।

2004-2007: केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, पर्यावरण एवं वन।

2007-2010: केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री।

2G स्पेक्ट्रम विवाद और न्यायिक प्रक्रिया

ए. राजा: द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभ और दलित अधिकारों के सशक्त प्रवक्ता

उनका सबसे विवादास्पद कार्यकाल संचार मंत्रालय में रहा, जब 2G स्पेक्ट्रम आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इस मामले में 2011 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और जेल भी जाना पड़ा। हालांकि, लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद उन्हें 2017 में सीबीआई अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया। यह मुकदमा भारतीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ और डीएमके की साख पर भी प्रभाव पड़ा। लेकिन ए. राजा ने इसे एक राजनीतिक साजिश करार देते हुए जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता बरकरार रखी।

सामाजिक सरोकार और दलित विमर्श

ए. राजा का राजनीतिक दर्शन सामाजिक न्याय और दलित उत्थान पर आधारित रहा है। वे खुद एक दलित समुदाय से आते हैं और उन्होंने बार-बार संसद में और अपने बयानों में यह मुद्दा उठाया है कि दलितों को सिर्फ आरक्षण नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व की भी ज़रूरत है। उनकी पुस्तक “To Drizzle on the Dust” में उन्होंने तमिलनाडु के सामाजिक ढांचे, जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी संरचना की आलोचना करते हुए द्रविड़ आंदोलन की विरासत को उजागर किया है। उनकी इस किताब को दक्षिण भारत में दलित विमर्श के सशक्त दस्तावेज़ के रूप में देखा जाता है।

वर्तमान भूमिकाएं

2024 में फिर से लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद ए. राजा को कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों में शामिल किया गया:

  • 26 सितंबर 2024 से सदस्य, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय समिति।
  • 14 अगस्त 2024 से सदस्य, अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण समिति।
  • 13 अगस्त 2024 से सदस्य, वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति।

सदस्य, रक्षा मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति। इसके अतिरिक्त, वे डीएमके संसदीय दल के मुख्य सचेतक भी हैं, जो पार्टी अनुशासन और रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

व्यक्तिगत जीवन

ए. राजा: द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभ और दलित अधिकारों के सशक्त प्रवक्ता

ए. राजा ने 4 फरवरी 1996 को एम.ए. परमेश्वरी से विवाह किया था, जिनका अब निधन हो चुका है। उनकी एक बेटी है। अपने पारिवारिक जीवन को वे बेहद निजी रखते हैं और राजनीति में अपने व्यक्तिगत अनुभवों को सार्वजनिक रूप से साझा करने से बचते हैं।

राजनीतिक छवि और आलोचना

राजा की छवि एक सशक्त वक्ता और नीतिगत मुद्दों पर स्पष्ट राय रखने वाले सांसद की रही है। वे डीएमके के उन नेताओं में से हैं जो संसद में बहसों में अपनी सहभागिता से चर्चा में रहते हैं। हालांकि, 2G विवाद ने उनकी छवि को गहरा धक्का पहुंचाया, लेकिन अदालती फैसलों और निरंतर जनसमर्थन ने उन्हें दोबारा स्थापित किया।

ए. राजा: द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभ और दलित अधिकारों के सशक्त प्रवक्ता

ए. राजा की राजनीतिक यात्रा तमिलनाडु की सामाजिक राजनीति, जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष और भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं के भीतर सत्ता-संरचना के संतुलन को दर्शाती है। एक साधारण गांव से निकलकर केंद्रीय मंत्रिमंडल तक का उनका सफर भारतीय लोकतंत्र में समानता और प्रतिनिधित्व के महत्व को भी रेखांकित करता है। वे आज भी नीलगिरी में दलित और वंचित वर्ग के लिए उम्मीद की एक मज़बूत किरण हैं और द्रविड़ राजनीति के प्रमुख स्तंभों में गिने जाते हैं।


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