9 महीने से सेंसर में अटकी फिल्म 'जया' के रिलीज होते ही फुल हुए सिनेमाघर, जानें कहानी

भोजपुरी इंडस्ट्री की फिल्म 'जया' पिछले 9 महीने से सेंसर बोर्ड में फंसी हुई थी. इससे प्रोड्यूसर्स काफी परेशान हो गए और उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की। आखिरकार फिल्म 'जया' सिनेमाघरों में रिलीज हुई और लोग इसे देखने के लिए उमड़ पड़े। बनारस में फिल्म 'जया' देखने आए लोग सिनेमाघरों के बाहर कतार में खड़े थे. गौरतलब है कि इस फिल्म को देखने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं आ रही हैं. पहले तो मेकर्स फिल्म को लेकर काफी नाखुश थे लेकिन अब फिल्म को मिल रहे अच्छे रिस्पॉन्स से वो काफी खुश नजर आ रहे हैं. आपको बता दें कि फिल्म 'जया' में माही श्रीवास्तव और दया शंकर पांडे ने मुख्य भूमिका निभाई है.
फिल्म 'जया' में दिखाई गई ये कहानी
फिल्म 'जया' की कहानी की बात करें तो इसमें दया शंकर पांडे एक दलित का किरदार निभा रहे हैं जो घाट पर चिता जलाता है, जबकि माही श्रीवास्तव उनकी बेटी का किरदार निभाती हैं। माही श्रीवास्तव ने जया नाम की लड़की का किरदार निभाया है जो काफी चुलबुली है। जया का मानना है कि जिंदगी खुशी से जीना चाहिए। जया को एक ऊंची जाति के लड़के से प्यार हो जाता है। जैसे ही लड़के के परिवार को इस बात का पता चलता है, वे जया के परिवार को अपमानित करते हैं। इसके बाद पहले खुश रहने वाली जया की जिंदगी में संघर्ष शुरू हो जाता है।
3 अगस्त को रिलीज हुई फिल्म 'जया'
आमतौर पर देखा गया है कि महिलाएं श्मशान घाट नहीं जाती हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे जया इन बातों को नहीं मानती है और श्मशान में जाकर चिता में आग तक लगा देती है। जया कहती हैं कि ये कहां लिखा है कि महिलाएं श्मशान में नहीं जा सकतीं। फिल्म में जया का एक डायलॉग काफी पॉपुलर हो रहा है, ये जाति के बारे में नहीं है, ये महिलाओं के बारे में है. आपको बता दें कि ये फिल्म 'जया' 3 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और इसे देखने के लिए लोग उमड़ पड़े थे.