Movie prime

थुकदम योग: मृत्यु के बाद की अद्भुत चेतना का रहस्य

थुकदम योग एक अद्भुत तिब्बती बौद्ध साधना है, जो मृत्यु के बाद की चेतना की स्थिति को दर्शाती है। यह साधना साधकों को मृत्यु के बाद भी ध्यान में रहने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे उनका शरीर कई दिनों तक सामान्य लक्षण नहीं दिखाता। इस लेख में हम थुकदम के रहस्यों, इसके महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे यह साधना जीवन और मृत्यु के रहस्यों को उजागर करती है।
 

थुकदम योग परंपरा क्या है?

थुकदम योग: मृत्यु के बाद की अद्भुत चेतना का रहस्य

थुकदम योग परंपरा का रहस्य: मनुष्य की चेतना और मृत्यु के संबंध में हमेशा से वैज्ञानिकों, दार्शनिकों और योगियों के लिए जिज्ञासा का विषय रहा है। क्या मृत्यु के बाद जीवन है? आत्मा का क्या होता है? क्या मनुष्य का चित्त मृत्यु के बाद भी कार्य करता है? इन प्रश्नों ने विभिन्न संस्कृतियों को प्रभावित किया है। विशेष रूप से, तिब्बती बौद्ध परंपरा में 'मृत्यु' को केवल जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक गूढ़ और जागरूक अवस्था की शुरुआत माना जाता है।


थुकदम क्या है?

थुकदम का अर्थ

थुकदम योग: मृत्यु के बाद की अद्भुत चेतना का रहस्य

थुकदम एक रहस्यमय तिब्बती बौद्ध साधना है, जो किसी महान लामा की मृत्यु के बाद देखी जाने वाली विशेष मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति को दर्शाती है। यह स्थिति तब होती है जब कोई अनुभवी बौद्ध साधक मृत्यु के बाद भी ध्यान की अवस्था में रहता है, और उसका शरीर सामान्य मृत्यु के लक्षण नहीं दिखाता।


थुकदम की स्थिति कैसे होती है?

कैसे होती है थुकदम की स्थिति?

थुकदम योग: मृत्यु के बाद की अद्भुत चेतना का रहस्य

जब कोई उच्च कोटि का बौद्ध लामा मृत्यु को प्राप्त होता है, तो वे सामान्य मृत्यु के विपरीत, शरीर को त्यागने से पहले एक विशेष ध्यान की स्थिति में प्रवेश करते हैं जिसे 'समाधि' कहा जाता है। थुकदम इस समाधि की स्थिति है जिसमें लामा की चेतना 'महासूक्ष्म' स्तर पर स्थिर रहती है। इस दौरान:

  • शरीर बिना किसी वैज्ञानिक जीवन संकेत के, कुछ दिनों तक वैसा ही बना रहता है।
  • न तो शरीर में कठोरता आती है, न कोई गंध, न ही त्वचा की विकृति।
  • ऐसा लगता है मानो वे अभी भी जीवित हैं, गहन ध्यान में लीन।


थुकदम में प्रवेश कैसे होता है?

कैसे प्रवेश करते हैं साधु इस अवस्था में?

थुकदम अवस्था में प्रवेश साधारण योगियों के लिए असंभव है। इसके लिए वर्षों की तपस्या, ध्यान और बौद्ध सिद्धांतों की गहरी समझ आवश्यक होती है। यह प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • मृत्यु की तैयारी - साधु पहले से जानते हैं कि उनकी मृत्यु निकट है।
  • चेतना का नियंत्रण - मृत्यु के समय वे अपने चित्त को शरीर के भीतर ही विशेष ऊर्जा केंद्र में स्थिर करते हैं।
  • भावनाओं का विसर्जन - मृत्यु के क्षणों में वे 'अहं', लालसा, मोह आदि से मुक्त हो जाते हैं।
  • गहन ध्यान - शारीरिक मृत्यु के बाद भी साधु ध्यान विधियों के माध्यम से अपनी चेतना को शरीर से विलग नहीं करते।


प्रसिद्ध थुकदम साधु

प्रसिद्ध थुकदम साधु और उनके अनुभव

तिब्बती बौद्ध परंपरा में कई साधु हैं जिन्होंने मृत्यु के बाद भी ध्यानस्थ अवस्था में रहते हुए थुकदम को प्राप्त किया। इनमें से कुछ प्रसिद्ध नाम हैं:

  • केन्तुल रिनपोछे - जिनका निधन 2013 में हुआ और उनकी मृत्यु के बाद 18 दिन तक उनका शरीर वैसा ही बना रहा।
  • लिंग रिनपोछे - 6वें दलाई लामा के गुरु, जिन्होंने भी थुकदम में प्रवेश किया।
  • दलाई लामा का दृष्टिकोण - वे इस अवस्था को अद्भुत मानते हैं और वैज्ञानिकों को इसे समझने के लिए आमंत्रित करते हैं।


विज्ञान और थुकदम

जब विज्ञान भी रहस्य में पड़ जाए

थुकदम योग: मृत्यु के बाद की अद्भुत चेतना का रहस्य

जब विज्ञान भी रहस्य में पड़ जाता है, तो यह संकेत है कि हम मानव चेतना और जीवन-मरण के रहस्यों को पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं। भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ ने इस विषय पर शोध किए हैं। इन शोधों में यह पाया गया कि मृत्यु के बाद भी कुछ साधुओं के मस्तिष्क में न्यूरो गतिविधियाँ बनी रहती हैं।


धार्मिक दृष्टिकोण

धार्मिक दृष्टिकोण से थुकदम का महत्व

तिब्बती बौद्ध परंपरा में थुकदम को आत्मज्ञान की चरम अवस्था माना जाता है। जब साधक अपने जीवनकाल में मन और शरीर पर इतना नियंत्रण प्राप्त कर लेता है कि मृत्यु के बाद भी उसका चेतन मन कुछ समय तक शरीर में बना रहता है, तो वह अद्वितीय साधना की अवस्था को प्राप्त करता है।


थुकदम का आध्यात्मिक संदेश

थुकदम का आध्यात्मिक संदेश

थुकदम केवल मृत्यु का रहस्य नहीं है, बल्कि यह जीवन का भी गहरा संदेश देता है। यह अवस्था हमें यह सिखाती है कि चेतना केवल शरीर तक सीमित नहीं होती, बल्कि उससे परे भी उसका अस्तित्व बना रहता है।


चेतना की अज्ञात सीमाएँ

चेतना की अज्ञात सीमाएँ

थुकदम योग: मृत्यु के बाद की अद्भुत चेतना का रहस्य

तिब्बती 'थुकदम' योग आधुनिक युग के लिए एक चुनौती है, जो हमारी विज्ञान की समझ, मृत्यु की परिभाषा, और चेतना की प्रकृति को चुनौती देती है। यह दिखाता है कि जीवन और मृत्यु केवल भौतिक घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि इनसे परे भी एक जागरूक सत्ता है।


OTT