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इंसानों के दिल तक पहुंच गया प्‍लास्टिक, बढ़ा देगा धड़कन

आम तौर पर खाने के पैकेट और पेंट में पाया जाने वाला माइक्रोप्लास्टिक अब इंसान के दिल (Microplastics in the human heart) तक पहुंच गया है।
 
आम तौर पर खाने के पैकेट और पेंट में पाया जाने वाला माइक्रोप्लास्टिक अब इंसान के दिल (Microplastics in the human heart) तक पहुंच गया है। पहली बार डॉक्टरों की एक टीम ने मानव हृदय के अंदर इसकी मौजूदगी की पुष्टि की है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि यह इतना खतरनाक है कि यह आपके दिल की धड़कन को तेज़ कर सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है और मृत्यु हो सकती है।  अमेरिकन केमिकल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह चौंकाने वाली खोज चीन के बीजिंग एंझेन अस्पताल के वैज्ञानिकों की एक टीम ने की है। टीम ने उन 15 रोगियों के हृदय के ऊतकों का विश्लेषण किया जिनकी हृदय संबंधी सर्जरी हुई थी और वे परिणामों से भयभीत थे। अधिकांश नमूनों में दसियों से हज़ार माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े मौजूद थे। 5 मिलीमीटर से कम चौड़े माइक्रोप्लास्टिक एक पेंसिल इरेज़र के आकार के होते हैं। यह मुंह, नाक और शरीर के अन्य छिद्रों से शरीर में प्रवेश कर सकता है। इस बात के भी सबूत हैं कि सर्जरी के दौरान कुछ माइक्रोप्लास्टिक अनजाने में लोगों के शरीर में प्रवेश कर गए हैं।   20 से 500 µm चौड़ा न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च टीम के डॉ. कुन हुआ शिउबिन यांग ने कहा, ''हम जानना चाहते थे कि क्या ये कण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शरीर में पहुंचकर कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं. टीम ने लेजर डायरेक्ट इंफ्रारेड इमेजिंग द्वारा हृदय के ऊतकों के नमूने की जांच की। दिल के अंदर 20 से 500 माइक्रोमीटर चौड़े प्लास्टिक के टुकड़े पाए गए। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें हृदय के पांच ऊतकों के अंदर 9 अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक मिले। इनमें पॉलीइथाइलीन, टेरेफ्थेलेट, पॉलीविनाइल क्लोराइड और पॉली (मिथाइल मेथैक्रिलेट) शामिल हैं।  मुंह, नाक या अन्य शरीर गुहा के माध्यम से प्रवेश करता है वैज्ञानिकों के मुताबिक ज्यादातर नमूनों में ऐसे हजारों टुकड़े पाए गए। सभी मुंह, नाक या अन्य शारीरिक गुहा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करते हैं। वैज्ञानिकों को अभी भी इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि माइक्रोप्लास्टिक शरीर के किन हिस्सों तक पहुंचा है। लेकिन इससे पहले फेफड़ों और मां के दूध में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की खबरें आती रही हैं। चूंकि मानव अंग आपस में जुड़े हुए हैं, इसलिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि वे यहां कहां से आए।

आम तौर पर खाने के पैकेट और पेंट में पाया जाने वाला माइक्रोप्लास्टिक अब इंसान के दिल (Microplastics in the human heart) तक पहुंच गया है। पहली बार डॉक्टरों की एक टीम ने मानव हृदय के अंदर इसकी मौजूदगी की पुष्टि की है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि यह इतना खतरनाक है कि यह आपके दिल की धड़कन को तेज़ कर सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है और मृत्यु हो सकती है।

अमेरिकन केमिकल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह चौंकाने वाली खोज चीन के बीजिंग एंझेन अस्पताल के वैज्ञानिकों की एक टीम ने की है। टीम ने उन 15 रोगियों के हृदय के ऊतकों का विश्लेषण किया जिनकी हृदय संबंधी सर्जरी हुई थी और वे परिणामों से भयभीत थे। अधिकांश नमूनों में दसियों से हज़ार माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े मौजूद थे। 5 मिलीमीटर से कम चौड़े माइक्रोप्लास्टिक एक पेंसिल इरेज़र के आकार के होते हैं। यह मुंह, नाक और शरीर के अन्य छिद्रों से शरीर में प्रवेश कर सकता है। इस बात के भी सबूत हैं कि सर्जरी के दौरान कुछ माइक्रोप्लास्टिक अनजाने में लोगों के शरीर में प्रवेश कर गए हैं।


20 से 500 µm चौड़ा
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च टीम के डॉ. कुन हुआ शिउबिन यांग ने कहा, ''हम जानना चाहते थे कि क्या ये कण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शरीर में पहुंचकर कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं. टीम ने लेजर डायरेक्ट इंफ्रारेड इमेजिंग द्वारा हृदय के ऊतकों के नमूने की जांच की। दिल के अंदर 20 से 500 माइक्रोमीटर चौड़े प्लास्टिक के टुकड़े पाए गए। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें हृदय के पांच ऊतकों के अंदर 9 अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक मिले। इनमें पॉलीइथाइलीन, टेरेफ्थेलेट, पॉलीविनाइल क्लोराइड और पॉली (मिथाइल मेथैक्रिलेट) शामिल हैं।

मुंह, नाक या अन्य शरीर गुहा के माध्यम से प्रवेश करता है
वैज्ञानिकों के मुताबिक ज्यादातर नमूनों में ऐसे हजारों टुकड़े पाए गए। सभी मुंह, नाक या अन्य शारीरिक गुहा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करते हैं। वैज्ञानिकों को अभी भी इस बात की पूरी जानकारी नहीं है कि माइक्रोप्लास्टिक शरीर के किन हिस्सों तक पहुंचा है। लेकिन इससे पहले फेफड़ों और मां के दूध में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाने की खबरें आती रही हैं। चूंकि मानव अंग आपस में जुड़े हुए हैं, इसलिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि वे यहां कहां से आए।

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