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OMG: महिला ने जिसे समझा आम पत्थर, वो निकला 5 अरब साल पुराना उल्कापिंड, खगोलशास्त्री भी हैरान

कुछ समय पहले खबर आई थी कि इंडोनेशिया में एक शख्स के घर पर आसमान से एक बेशकीमती खजाना गिरा और वह अमीर हो गया।
 
कुछ समय पहले खबर आई थी कि इंडोनेशिया में एक शख्स के घर पर आसमान से एक बेशकीमती खजाना गिरा और वह अमीर हो गया। दरअसल, एक उल्कापिंड अंतरिक्ष से 33 साल के जोशुआ हटगालुंग के घर पर गिरा, जिसने इसे बेचकर 10 करोड़ रुपए कमाए। अब ऐसी ही एक और घटना सामने आई है। महिला के घर पर पत्थर गिरा। महिला को लगा कि यह कोई साधारण चट्टान है, लेकिन जब विशेषज्ञों ने देखा तो उन्होंने बताया कि यह 5 अरब साल पुराना उल्कापिंड है। आपको बता दें कि उल्कापिंड बहुत कीमती होते हैं, उनमें से कुछ तो सोने की कीमत से भी आगे निकल जाते हैं। इनकी कीमत $0.50 से $1000 प्रति ग्राम तक हो सकती है।  यह घटना सोमवार दोपहर अमेरिका के न्यू जर्सी के होपवेल टाउनशिप में एक इमारत की छत से धातु की वस्तु गिरने के बाद हुई। घर की मालकिन सूजी कोप ने कहा कि वह घर की छत पर गिर गई और सीधे बेडरूम में चली गई। मुझे लगा कि किसी ने पत्थर फेंके हैं। लेकिन जब मैंने ऊपर देखा तो वह छत से नीचे आ चुका था। गनीमत यह रही कि उस समय कोई मौजूद नहीं था और कोई घायल नहीं हुआ।अधिकारियों ने बताया कि चौकोर आकार का दिखने वाला उल्कापिंड 4 से 6 इंच का है। देखने में यह मेटल जैसा लगता है।  शायद सौर मंडल के शुरुआती दिनों का अवशेष फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल एस्ट्रोफिजिसिस्ट डेरिक पिट्स ने कहा, पांच अरब साल पुराना उल्कापिंड सौर मंडल के शुरुआती दिनों का अवशेष हो सकता है। अभी तक वह अंतरिक्ष में इधर-उधर भाग रहा था और अब धरती पर आ गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले सप्ताह के अंत में क्षेत्र में एटा एक्वारिड्स उल्का बौछार अपने चरम पर थी। माना जाता है कि इसकी वजह से एक उल्कापिंड पृथ्वी तक पहुंचने में कामयाब रहा। अधिकारियों ने यह जांचने के लिए स्कैन किया कि कहीं रेडियोधर्मी विकिरण तो नहीं फैल रहा है। दमकल विभाग ने पुष्टि की है कि कोई खतरा नहीं है।  घरों या लोगों के टकराने की दुर्लभ घटना अधिकारियों के मुताबिक पत्थर के टुकड़े का वजन करीब 1.8 किलोग्राम है। खगोलविदों का कहना है कि जब भी कोई उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो घर्षण और उच्च तापमान के कारण उसमें आग लग जाती है और वह नष्ट हो जाता है। लेकिन कभी-कभी यह पूरी तरह खत्म नहीं होता। जिससे कुछ अंश पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं। इन्हें उल्कापिंड के नाम से जाना जाता है। वैसे उल्कापिंड का किसी घर या लोगों से टकराना एक तरह की दुर्लभ घटना है।

कुछ समय पहले खबर आई थी कि इंडोनेशिया में एक शख्स के घर पर आसमान से एक बेशकीमती खजाना गिरा और वह अमीर हो गया। दरअसल, एक उल्कापिंड अंतरिक्ष से 33 साल के जोशुआ हटगालुंग के घर पर गिरा, जिसने इसे बेचकर 10 करोड़ रुपए कमाए। अब ऐसी ही एक और घटना सामने आई है। महिला के घर पर पत्थर गिरा। महिला को लगा कि यह कोई साधारण चट्टान है, लेकिन जब विशेषज्ञों ने देखा तो उन्होंने बताया कि यह 5 अरब साल पुराना उल्कापिंड है। आपको बता दें कि उल्कापिंड बहुत कीमती होते हैं, उनमें से कुछ तो सोने की कीमत से भी आगे निकल जाते हैं। इनकी कीमत $0.50 से $1000 प्रति ग्राम तक हो सकती है।

यह घटना सोमवार दोपहर अमेरिका के न्यू जर्सी के होपवेल टाउनशिप में एक इमारत की छत से धातु की वस्तु गिरने के बाद हुई। घर की मालकिन सूजी कोप ने कहा कि वह घर की छत पर गिर गई और सीधे बेडरूम में चली गई। मुझे लगा कि किसी ने पत्थर फेंके हैं। लेकिन जब मैंने ऊपर देखा तो वह छत से नीचे आ चुका था। गनीमत यह रही कि उस समय कोई मौजूद नहीं था और कोई घायल नहीं हुआ।अधिकारियों ने बताया कि चौकोर आकार का दिखने वाला उल्कापिंड 4 से 6 इंच का है। देखने में यह मेटल जैसा लगता है।

शायद सौर मंडल के शुरुआती दिनों का अवशेष
फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल एस्ट्रोफिजिसिस्ट डेरिक पिट्स ने कहा, पांच अरब साल पुराना उल्कापिंड सौर मंडल के शुरुआती दिनों का अवशेष हो सकता है। अभी तक वह अंतरिक्ष में इधर-उधर भाग रहा था और अब धरती पर आ गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले सप्ताह के अंत में क्षेत्र में एटा एक्वारिड्स उल्का बौछार अपने चरम पर थी। माना जाता है कि इसकी वजह से एक उल्कापिंड पृथ्वी तक पहुंचने में कामयाब रहा। अधिकारियों ने यह जांचने के लिए स्कैन किया कि कहीं रेडियोधर्मी विकिरण तो नहीं फैल रहा है। दमकल विभाग ने पुष्टि की है कि कोई खतरा नहीं है।

घरों या लोगों के टकराने की दुर्लभ घटना
अधिकारियों के मुताबिक पत्थर के टुकड़े का वजन करीब 1.8 किलोग्राम है। खगोलविदों का कहना है कि जब भी कोई उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो घर्षण और उच्च तापमान के कारण उसमें आग लग जाती है और वह नष्ट हो जाता है। लेकिन कभी-कभी यह पूरी तरह खत्म नहीं होता। जिससे कुछ अंश पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं। इन्हें उल्कापिंड के नाम से जाना जाता है। वैसे उल्कापिंड का किसी घर या लोगों से टकराना एक तरह की दुर्लभ घटना है।