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अकाल मृत्यु से बचने के लिए श्रद्धालु लगाते हैं परिक्रमा, ढाई सौ साल पुराना देवर-भाभी के मंदिर की विशेषता

राजस्थान में कई ऐसे मंदिर हैं जो खास कारणों से जाने जाते हैं। जैसे बनेश्वर धाम जो शिवलिंग के लिए जाना जाता है। इसके अलावा उदयपुर में सास-ससुर का मंदिर भी प्रसिद्ध है। आपने कई ऐसे मंदिर देखे होंगे जहां भगवान राम-लक्ष्मण और माता सीता की एक साथ पूजा की जाती है।
 
राजस्थान में कई ऐसे मंदिर हैं जो खास कारणों से जाने जाते हैं। जैसे बनेश्वर धाम जो शिवलिंग के लिए जाना जाता है। इसके अलावा उदयपुर में सास-ससुर का मंदिर भी प्रसिद्ध है। आपने कई ऐसे मंदिर देखे होंगे जहां भगवान राम-लक्ष्मण और माता सीता की एक साथ पूजा की जाती है। लेकिन नागौर के टंकला गांव में एक ऐसा भी मंदिर है जहां सिर्फ लक्ष्मण और सीता माता की ही पूजा की जाती है। 250 साल पहले स्थापित यह मंदिर आज लोकप्रिय रूप से देवर-भाभी के नाम से जाना जाता है।  मंदिर के पुजारी मेघदास ने बताया कि यह मंदिर 250 साल पुराना है, इस मंदिर में केवल लक्ष्मण और सीता माता की मूर्तियां हैं। असामयिक मृत्यु के खतरे को दूर करने के लिए भक्त यहां परिक्रमा करने आते हैं। इसके अलावा मंदिर में भगवान हनुमान की एक मूर्ति भी है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त यहां मन्नत मांगता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।  मंदिर के पुजारी मेघदास ने बताया कि इस मंदिर में मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति यहां आकर साल में एक बार परिक्रमा करता है तो उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। साथ ही यहां परिक्रमा करने के दौरान सड़क दुर्घटना व अन्य बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। यदि कोई भक्त यहां आकर मन्नत मांगता है तो वह पूरी होती है।  यह मंदिर नागौर जिले के खिनवसर तालुक के टंकला गांव में स्थित है।इस मंदिर के पास ही किशनदासजी महाराज का मंदिर है। पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की परिक्रमा करने के लिए महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं।

राजस्थान में कई ऐसे मंदिर हैं जो खास कारणों से जाने जाते हैं। जैसे बनेश्वर धाम जो शिवलिंग के लिए जाना जाता है। इसके अलावा उदयपुर में सास-ससुर का मंदिर भी प्रसिद्ध है। आपने कई ऐसे मंदिर देखे होंगे जहां भगवान राम-लक्ष्मण और माता सीता की एक साथ पूजा की जाती है। लेकिन नागौर के टंकला गांव में एक ऐसा भी मंदिर है जहां सिर्फ लक्ष्मण और सीता माता की ही पूजा की जाती है। 250 साल पहले स्थापित यह मंदिर आज लोकप्रिय रूप से देवर-भाभी के नाम से जाना जाता है।

मंदिर के पुजारी मेघदास ने बताया कि यह मंदिर 250 साल पुराना है, इस मंदिर में केवल लक्ष्मण और सीता माता की मूर्तियां हैं। असामयिक मृत्यु के खतरे को दूर करने के लिए भक्त यहां परिक्रमा करने आते हैं। इसके अलावा मंदिर में भगवान हनुमान की एक मूर्ति भी है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त यहां मन्नत मांगता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर के पुजारी मेघदास ने बताया कि इस मंदिर में मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति यहां आकर साल में एक बार परिक्रमा करता है तो उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। साथ ही यहां परिक्रमा करने के दौरान सड़क दुर्घटना व अन्य बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। यदि कोई भक्त यहां आकर मन्नत मांगता है तो वह पूरी होती है।

यह मंदिर नागौर जिले के खिनवसर तालुक के टंकला गांव में स्थित है।इस मंदिर के पास ही किशनदासजी महाराज का मंदिर है। पुजारी ने बताया कि इस मंदिर की परिक्रमा करने के लिए महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं।