राणा सांगा और बाबर: क्या सच में था एकजुटता का आमंत्रण?
राणा सांगा और बाबर का ऐतिहासिक संदर्भ

Rana Sanga-Babur History
Rana Sanga-Babur History
राणा सांगा और बाबर का इतिहास: किसी भी संस्कृति या समाज को समाप्त करने के लिए सबसे सरल तरीके हैं। पहला, उसकी भाषा से उसे अलग कर देना। दूसरा, उसके नायकों और महापुरुषों को संदिग्ध बनाना, जिससे विश्वास और श्रद्धा की जगह संदेह उत्पन्न हो। यह प्रक्रिया भारत में तब से चल रही है जब इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था। वर्तमान में राणा सांगा को इस संदर्भ में चर्चा का विषय बनाया गया है। कहा जा रहा है कि राणा सांगा ने उज्बेक लुटेरे बाबर को भारत आने का निमंत्रण दिया था, ताकि वह दिल्ली के शासक इब्राहीम लोदी को हराने में मदद कर सके। बाबर, मंगोल-तुर्क वंश का था और तैमूर तथा चंगेज खान का वंशज था। उसने भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की।
आज हम इस दावे की सच्चाई की जांच करते हैं।
राणा सांगा का परिचय
राणा सांगा का इतिहास
राणा संग्राम सिंह, जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, मेवाड़ के सबसे शक्तिशाली शासक थे। उनका शासनकाल 1509 से 1528 ईस्वी तक रहा। वे युद्ध कौशल में निपुण थे और राजपूतों की प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया। राणा सांगा का जन्म 12 अप्रैल, 1482 को हुआ था। उनके पिता का नाम राणा रायमल था। वे सिसोदिया वंश के राजा थे। राणा सांगा ने अपने भाइयों के साथ मेवाड़ की गद्दी के लिए संघर्ष किया और 1509 में राजा बने। उस समय उनकी उम्र केवल 27 वर्ष थी।
साम्राज्य का विस्तार
हालांकि मेवाड़ की नींव बप्पा रावल ने रखी थी, राणा सांगा के शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार कई महत्वपूर्ण युद्धों और राजनीतिक संधियों के माध्यम से हुआ। उन्होंने मालवा, गुजरात और दिल्ली सल्तनत के मुस्लिम शासकों को पराजित किया। राणा सांगा ने 1519 में गागरोण की लड़ाई में गुजरात और मालवा की संयुक्त मुस्लिम सेनाओं को हराया।
बाबर का आक्रमण
बाबर ने अपनी आत्मकथा 'तुज़ुक-ए-बाबरी' में लिखा है कि राणा सांगा और कुछ अफगान सरदारों ने उसे हिंदुस्तान पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया। हालांकि, कई भारतीय इतिहासकार इस दावे पर संदेह करते हैं। उनका तर्क है कि राणा सांगा जैसे शक्तिशाली शासक को किसी बाहरी आक्रांता की आवश्यकता नहीं थी।
खानवा की लड़ाई
खानवा की लड़ाई में राणा सांगा गंभीर रूप से घायल हुए। बाबर की तोपों और रणनीति ने राणा की सेना को पराजित किया। इस लड़ाई ने बाबर की स्थिति को मजबूत किया और राणा सांगा की हार ने उनके साम्राज्य के भविष्य को संकट में डाल दिया।