राजकुमारी कृष्णा कुमारी: एक साहसी नायिका की अमर गाथा
राजकुमारी कृष्णा कुमारी का ऐतिहासिक संदर्भ

Udaipur Queen Krishna Kumari History
Udaipur Queen Krishna Kumari History
राजकुमारी कृष्णा कुमारी का ऐतिहासिक संदर्भ: यह उस समय की कहानी है जब भारत के इतिहास में एक नया मोड़ आ रहा था। मुगलों की शक्ति कमजोर हो रही थी, जबकि विभिन्न राजे-रजवाड़े आपसी संघर्ष में लगे थे। इसी समय, ईस्ट इंडिया कंपनी अपने साम्राज्यवादी इरादों को पूरा करने में जुटी थी। इस संघर्ष के बीच, मेवाड़ की बहादुर राजकुमारी कृष्णा कुमारी का नाम उभरता है, जिनकी वीरता और बलिदान आज भी राजस्थान के लोगों के दिलों में जीवित है।
राजकुमारी कृष्णा का जन्म
राजकुमारी कृष्णा का जन्म
राजकुमारी कृष्णा कुमारी (10 मार्च, 1794 – 21 जुलाई, 1810) उदयपुर के महाराणा भीम सिंह की पुत्री थीं। मेवाड़, जो वीरता और आत्मसम्मान का प्रतीक रहा है, से जन्मी कृष्णा ने अपने पिता की प्रतिष्ठा और मातृभूमि की रक्षा के लिए ऐसा बलिदान दिया, जो इतिहास में अमर है। विष का प्याला पीकर अपने प्राणों की आहुति देना कोई साधारण कार्य नहीं था, लेकिन राजकुमारी कृष्णा ने इसे मुस्कुराते हुए स्वीकार किया।
राजकुमारी की सुंदरता और विवाह

राजकुमारी कृष्णा न केवल सुंदर थीं, बल्कि उनके शिष्टाचार और मधुर वाणी ने उन्हें राजस्थान का “गौरव-पुष्प” बना दिया। उनकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई थी। उनकी यह अद्वितीय सुंदरता और कुलीनता कई राजघरानों की लालसा का कारण बनी, जो बाद में एक बड़े राजनीतिक संकट का कारण भी बनी।
पाँच वर्ष की उम्र में विवाह
पाँच वर्ष की उम्र में विवाह
1799 में, जब कृष्णा केवल पाँच वर्ष की थीं, उनके पिता ने उनका विवाह जोधपुर के नरेश राव भीम सिंह से तय किया। लेकिन दुर्भाग्यवश, विवाह के चार वर्ष बाद ही राव भीम सिंह का निधन हो गया।
राजकुमारी के विवाह के लिए संघर्ष

इसके बाद, कृष्णा के विवाह को लेकर राजपूताना के कई शक्तिशाली शासकों में प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। जोधपुर, जयपुर और उदयपुर जैसे बड़े राज्यों के बीच इस राजकुमारी के विवाह को लेकर गहरी राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई।
राजकुमारी के विवाह के लिए युद्ध
राजकुमारी के विवाह के लिए युद्ध
राजकुमारी के विवाह के लिए जोधपुर और जयपुर के शासकों के बीच संघर्ष इतना बढ़ गया कि वह युद्ध का रूप ले लिया।
अंग्रेजों की रणनीति

इस विवाद में ग्वालियर के दौलतराव सिंधिया, इंदौर के यशवंतराव होलकर और टोंक के पठान नवाब अमीर खान पिंडारी जैसे दिग्गज भी शामिल हो गए। पूरा राजस्थानी क्षेत्र इस विवाह को लेकर हलचल में था।
राजकुमारी कृष्णा का बलिदान
राजकुमारी कृष्णा का बलिदान
अमीर खान ने एक घिनौनी साजिश रचते हुए राजकुमारी कृष्णा को खत्म करने का निर्णय लिया। राजा भीम सिंह को यह बताया गया कि यदि वह उदयपुर की रक्षा करना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी बेटी की बलि देनी होगी।
राजकुमारी का अंतिम निर्णय

राजा भीम सिंह ने अंततः अपने राज्य की भलाई के लिए अपनी बेटी की बलि देने का निर्णय लिया। जब कोई पुरुष यह कार्य नहीं कर सका, तो यह जिम्मेदारी एक महिला को दी गई। उसे ज़हर का प्याला तैयार करने का आदेश दिया गया।
राजकुमारी का साहस
राजकुमारी कृष्णा ने जब ज़हर का प्याला अपने सामने देखा, तो उसने अपने पिता की कुशलता के लिए प्रार्थना की और फिर बिना किसी भय के वह ज़हर पी लिया।
अंतिम क्षण
अंतिम क्षण
जब उसे विषपान कराया गया, तो पहले ज़हर का कोई प्रभाव नहीं हुआ। लेकिन जब सबसे जहरीला ज़हर तैयार किया गया, तब राजकुमारी ने उसे पी लिया। इस प्रकार, उसकी बलिदान की कहानी एक युग का अंत बन गई।
राजकुमारी कृष्णा का अमर बलिदान
राजकुमारी कृष्णा कुमारी की मृत्यु केवल एक जीवन की समाप्ति नहीं थी, बल्कि साहस और त्याग की एक अमर गाथा थी। कर्नल टॉड ने उनकी तुलना ग्रीक मिथकों की त्रासद नायिकाओं से की है। उनका बलिदान हमेशा के लिए इतिहास में जीवित रहेगा।