क्या है 'लकड़ियों का हीरा' Kynam? जानें इसकी अनमोलता और उपयोग
Kynam: लकड़ियों का अनमोल खजाना

लकड़ी का महत्व: लकड़ी का उपयोग प्राचीन काल से लेकर आज तक विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है, जैसे भवन निर्माण, फर्नीचर, सजावट, और औषधियों में। विश्व में कई प्रकार की मूल्यवान लकड़ियाँ मौजूद हैं, लेकिन एक लकड़ी इतनी दुर्लभ और कीमती है कि इसे 'लकड़ियों का हीरा' कहा जाता है। यह लकड़ी है कायनम (Kynam)। कायनम, अगरवुड (Agarwood) का एक विशेष प्रकार है, जो अत्यधिक दुर्लभ और महंगी मानी जाती है। इसकी कीमत सोने और हीरे से भी अधिक हो सकती है। यह मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में पाई जाती है और इसकी अद्भुत सुगंध और औषधीय गुणों के कारण इसकी मांग बहुत अधिक है।
कायनम की विशेषताएँ
दुर्लभ और उच्च गुणवत्ता वाली अगरवुड
कायनम (Kynam) एक अत्यंत दुर्लभ और उच्च गुणवत्ता वाली अगरवुड की श्रेणी है, जो वैज्ञानिक रूप से Aquilaria पेड़ से प्राप्त की जाती है। इसकी दिव्य सुगंध इसे अत्यधिक मूल्यवान बनाती है। अगरवुड का उपयोग हजारों वर्षों से आध्यात्मिक अनुष्ठानों, सुगंधित धूप, इत्र, और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता रहा है।
अगरवुड का निर्माण और कायनम की उत्पत्ति
अगरवुड और इसकी उत्पत्ति

अगरवुड, जिसे ऊद (Oud) भी कहा जाता है, एक सुगंधित रेजिन से समृद्ध लकड़ी होती है, जो एक्विलेरिया और जाइरिनॉप्स प्रजाति के पेड़ों में पाई जाती है। यह तब उत्पन्न होता है जब पेड़ किसी विशेष प्रकार के फफूंद या बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण अपने ऊतकों को बचाने के लिए सुरक्षात्मक रेजिन बनाता है।
कायनम की कीमत और उपयोग
कायनम की कीमत

कायनम की कीमत सामान्यतः $1,00,000 (लगभग ₹80 लाख) प्रति किलोग्राम से शुरू होती है, जबकि उच्च गुणवत्ता वाले नमूनों की कीमत $5,00,000 (लगभग ₹4 करोड़) प्रति किलोग्राम या उससे अधिक हो सकती है। इसकी मांग विशेष रूप से जापान, चीन और मध्य पूर्व में बहुत अधिक है।
कायनम का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
कायनम का ऐतिहासिक महत्व

जापान में कायनम को ‘कोहडो’ नामक पारंपरिक धूप जलाने की कला में अत्यधिक सम्मान दिया जाता है। चीन और मध्य पूर्व में इसे औषधीय और सुगंधित प्रयोजनों के लिए अत्यंत मूल्यवान माना जाता है।
कायनम की अवैध तस्करी और संरक्षण
कायनम की अवैध तस्करी
कायनम की अत्यधिक मांग के कारण इसकी अवैध तस्करी भी होती है, जिससे इसकी प्राकृतिक आपूर्ति कम हो रही है। कई देश अब इस लकड़ी के संरक्षण के लिए कड़े नियम लागू कर रहे हैं।