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क्या आप जानते हैं धर्मेंद्र की फिल्म ने रूस में कैसे बनाया था इतिहास?

धर्मेंद्र की फिल्म 'अलीबाबा और चालीस चोर' ने भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इस फिल्म ने न केवल भारत में बल्कि रूस में भी जबरदस्त सफलता हासिल की। जानें कैसे इस फिल्म ने धर्मेंद्र को एक वैश्विक आइकन बना दिया और उनके करियर को नई दिशा दी।
 

भारत और रूस के सांस्कृतिक संबंध


मुंबई, 5 दिसंबर। भारत और रूस के बीच संबंध केवल राजनीतिक नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक और व्यापारिक पहलुओं से भी जुड़े हुए हैं, जो इन रिश्तों को और भी मजबूत बनाते हैं।


इन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों की जड़ें काफी पुरानी हैं, और इसमें हिंदी सिनेमा का योगदान महत्वपूर्ण है। कई भारतीय कलाकारों ने सोवियत संघ के बाजारों में अपनी फिल्मों के माध्यम से एक विशेष पहचान बनाई। इनमें से एक प्रमुख अभिनेता धर्मेंद्र देओल थे, जिनका निधन 24 नवंबर 2025 को हुआ।


धर्मेंद्र की कई फिल्मों को रूस में प्रदर्शित किया गया, लेकिन उनकी 'अलीबाबा और चालीस चोर' विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह फिल्म केवल भारत में ही नहीं, बल्कि सोवियत संघ के उज्बेकफिल्म स्टूडियो के सहयोग से बनाई गई थी। यह फिल्म भारत में सुपरहिट रही और रूस में भी इसे काफी सराहा गया।


इस फिल्म को रूसी भाषा में डब किया गया और यह दोनों देशों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बन गई। भारत में यह फिल्म 25 हफ्तों तक चली और 3 करोड़ की कमाई की, जबकि सोवियत संघ में इसकी कमाई लगभग 2 करोड़ रही। इस फिल्म ने धर्मेंद्र को एक वैश्विक आइकन बना दिया।


रूस में 'अलीबाबा और चालीस चोर' में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की रोमांटिक जोड़ी को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। भारत में उनकी खूबसूरती के लिए पहले से ही सराहना होती थी, लेकिन रूस में उनकी पर्सनैलिटी ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई।


इसके अलावा, धर्मेंद्र की 'धरमवीर' फिल्म भी रूस में सफल रही, जो 1997 में एक बड़ी हिट साबित हुई। इस फिल्म के 3 करोड़ से अधिक टिकट बिके और यह भारत में लगभग 50 हफ्तों तक चली। इसी फिल्म के कारण फैंस ने उन्हें 'आयरन मैन' का उपनाम दिया।