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क्या है फिल्म 'होमबाउंड' की कहानी? जानें इस ऑस्कर-शॉर्टलिस्ट फिल्म के पीछे की सच्चाई

फिल्म 'होमबाउंड', जिसमें ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर जैसे सितारे हैं, ने ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट में जगह बनाई है। यह फिल्म कोरोना काल की एक सच्ची घटना से प्रेरित है, जिसमें दो प्रवासी श्रमिकों की दोस्ती और संघर्ष को दर्शाया गया है। जानें इस फिल्म की कहानी और इसके पीछे की प्रेरणा के बारे में।
 

फिल्म 'होमबाउंड' की प्रेरणादायक कहानी




मुंबई, 17 दिसंबर। ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर और विशाल जेठवा अभिनीत फिल्म 'होमबाउंड' ने ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट में अपनी जगह बना ली है, और यह फिल्म विश्व स्तर पर 15 बेहतरीन फिल्मों में शामिल हो चुकी है।


इस फिल्म को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों से भी सराहना मिली है और इसे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में विशेष स्क्रीनिंग का अवसर मिला है। फिल्म की कहानी कोरोना काल की एक सच्ची घटना से प्रेरित है, जिसके बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स में भी एक लेख प्रकाशित हुआ था।


फिल्म की कहानी लॉकडाउन के दौरान सूरत में फंसे दो युवा प्रवासी श्रमिकों, अमृत और सैय्यूब की है। जब पूरा देश महामारी के कारण घरों में कैद था, तब उत्तर प्रदेश के देवरी गांव के सैय्यूब मोहम्मद और अमृत प्रसाद ने सच्ची दोस्ती का उदाहरण पेश किया। दोनों दोस्त गुजरात से अपने गांव लौट रहे थे, लेकिन रास्ते में अमृत की तबीयत बिगड़ जाती है। ट्रक का चालक उन्हें उतार देता है, लेकिन सैय्यूब हार नहीं मानता और एंबुलेंस के जरिए अमृत को अस्पताल पहुंचाता है, जहां अमृत की दुखद मृत्यु हो जाती है।


यह घटना एक वायरल फोटो के कारण चर्चा में आई, जिसमें सैय्यूब मोहम्मद अपने दोस्त अमृत का सिर अपनी गोद में लिए हुए हैं। इस फोटो पर भारतीय कश्मीरी पत्रकार बशारत पीर ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक मार्मिक लेख लिखा, जिसका शीर्षक था 'ए फ्रेंडशिप, ए पैंडेमिक एंड ए डेथ बिसाइड द हाइवे'।


इस लेख के बाद सैय्यूब और अमृत की दोस्ती को संघर्ष और त्याग का प्रतीक माना गया।


इस घटना से प्रेरित होकर नीरज घायवान ने फिल्म का निर्देशन किया है, जो पहले 'मसान' जैसी चर्चित फिल्म बना चुके हैं। 'होमबाउंड' में नीरज ने गरीबी, जातिवाद और सामाजिक व्यवस्था की समस्याओं को उजागर किया है। फिल्म में दोनों दोस्तों को सरकारी नौकरी की तैयारी करते हुए दिखाया गया है, और इस दौरान उन्हें जाति के कारण जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, उसे प्रभावी ढंग से दर्शाया गया है.