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क्या 'द ताज स्टोरी' फिल्म विवाद में फंसी? जानें दिल्ली हाई कोर्ट में क्या हुआ!

बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल की नई फिल्म 'द ताज स्टोरी' कानूनी विवाद में फंस गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश करती है और इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। याचिकाकर्ता ने सेंसर बोर्ड और केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाए हैं। जानें इस मामले में और क्या हुआ है और फिल्म की रिलीज़ पर क्या असर पड़ सकता है।
 

फिल्म 'द ताज स्टोरी' पर कानूनी संकट


बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता परेश रावल की नई फिल्म "द ताज स्टोरी" रिलीज़ से पहले ही कानूनी विवाद में उलझ गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है और इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।


याचिका दायर करने वाले का बयान

याचिका को शकील अब्बास नामक वकील ने दायर किया है। उनका कहना है कि फिल्म की कहानी और ट्रेलर समाज में सांप्रदायिक तनाव को भड़का सकते हैं। "द ताज स्टोरी" का ट्रेलर 16 अक्टूबर को जारी किया गया था और इसका प्रचार तेज़ी से चल रहा है। फिल्म 31 अक्टूबर को रिलीज़ होने वाली है।


सेंसर बोर्ड पर भी उठे सवाल

याचिका में केंद्र सरकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, सेंसर बोर्ड, फिल्म निर्माण कंपनी, और परेश रावल को भी पक्षकार बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि इन सभी ने पहले "द कश्मीर फाइल्स" और "द बंगाल फाइल्स" जैसी विवादास्पद फिल्मों के माध्यम से एक विशेष राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, आरोप लगाया गया है कि सेंसर बोर्ड ने बिना उचित समीक्षा के फिल्म को प्रमाणित कर दिया।


केंद्र सरकार पर भी निशाना

याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार और सेंसर बोर्ड को फिल्म के संभावित नकारात्मक प्रभावों के बारे में जानकारी थी, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह सेंसर बोर्ड को फिल्म के प्रमाणन की पुनः समीक्षा करने का आदेश दे, वयस्क प्रमाणपत्र जारी करे, या आवश्यक होने पर कुछ दृश्यों को हटाने का निर्देश दे।


आगरा में सुरक्षा बढ़ाने की मांग

याचिका में यह भी मांग की गई है कि प्रशासन फिल्म की रिलीज़ के समय, विशेषकर आगरा के ताजमहल क्षेत्र में, किसी भी सांप्रदायिक घटना को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए। फिलहाल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई की संभावना जताई है।