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क्या आपने देखी है 'अंतर्महल'? 20 साल बाद भी क्यों है यह फिल्म प्रासंगिक!

फिल्म 'अंतर्महल' ने अपनी रिलीज के 20 साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर जैकी श्रॉफ ने सोशल मीडिया पर फिल्म की पुरानी यादों को ताजा किया। रितुपर्णो घोष द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने अंधविश्वास, सत्ता के दुरुपयोग और महिलाओं के शोषण जैसे गंभीर मुद्दों को उठाया है। जानें इस फिल्म की कहानी और क्यों यह आज भी प्रासंगिक है।
 

फिल्म 'अंतर्महल' का 20 साल का सफर


मुंबई, 28 अक्टूबर। फिल्म 'अंतर्महल' ने आज अपनी रिलीज के 20 साल पूरे कर लिए हैं। इस खास मौके पर अभिनेता जैकी श्रॉफ ने सोशल मीडिया पर फिल्म से जुड़ी पुरानी यादों को ताजा किया।


जैकी श्रॉफ ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज पर फिल्म की एक क्लिप साझा करते हुए लिखा, "फिल्म 'अंतर्महल' की रिलीज को 20 साल हो गए हैं।"


यह फिल्म, जिसे रितुपर्णो घोष ने निर्देशित किया था, 2005 में प्रदर्शित हुई थी। इसमें सोहा अली खान, अभिषेक बच्चन और जैकी श्रॉफ ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं। फिल्म ने अंधविश्वास, सत्ता के दुरुपयोग, धार्मिक कट्टरता और महिलाओं के शोषण जैसे गंभीर मुद्दों को उठाया था। निर्देशक की गहरी सोच और कलाकारों के बेहतरीन अभिनय ने इसे एक प्रभावशाली कृति बना दिया।


कहानी 19वीं सदी के बंगाल पर आधारित है और यह ताराशंकर बंद्योपाध्याय की लघुकथा 'प्रतिमा' से प्रेरित है। फिल्म में जमींदार भुवनेश्वर चौधरी (जैकी श्रॉफ) को दिखाया गया है, जो सामाजिक प्रतिष्ठा पाने के लिए दो महिलाओं (रूपा गांगुली और सोहा अली खान) का शोषण करता है।


भुवनेश्वर चौधरी की दो प्रमुख इच्छाएँ हैं- एक बेटा होना और ब्रिटिश राज में रायबहादुर की उपाधि प्राप्त करना। यह उपाधि अंग्रेज सरकार अमीर और प्रभावशाली लोगों को बेहतरीन सेवा के लिए देती थी, लेकिन भुवनेश्वर इन दोनों में असफल रहता है। अपनी पहली पत्नी महामाया (रूपा गांगुली) को वारिस न देने के कारण वह घर से निकाल देता है और फिर दूसरी शादी करता है। उसकी दूसरी पत्नी का किरदार सोहा अली खान ने निभाया है।


'अंतर्महल' ने समाज की कड़वी सच्चाइयों को बेबाकी से पेश किया। जैकी श्रॉफ का किरदार तानाशाह जमींदार का प्रतीक है, जो सत्ता के नशे में महिलाओं को कुचलता है। यह फिल्म आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि यह स्त्री शोषण पर गहरा सवाल उठाती है।