कैसे 'जरा-जरा टच मी' ने मोनाली ठाकुर के करियर को बदल दिया?
मोनाली ठाकुर: एक संगीत यात्रा
मुंबई, 2 नवंबर। बॉलीवुड की प्रसिद्ध गायिका मोनाली ठाकुर की आवाज ने हमेशा से लोगों के दिलों को छुआ है। उनकी मधुर और भावनात्मक आवाज ने उन्हें न केवल फिल्म उद्योग में, बल्कि संगीत प्रेमियों के बीच भी एक विशेष स्थान दिलाया है।
मोनाली का करियर छोटे-छोटे प्रतियोगिताओं और स्कूल के कार्यक्रमों से शुरू हुआ, लेकिन उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें धीरे-धीरे बॉलीवुड में स्थापित किया। उनके करियर की शुरुआत में ही एक ऐसा अवसर आया जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
मोनाली ठाकुर का जन्म 3 नवंबर 1985 को पश्चिम बंगाल में एक संगीत परिवार में हुआ। उनके पिता, शक्ति ठाकुर, एक प्रसिद्ध बंगाली गायक थे, और उनकी बहन, मेहुली ठाकुर, भी एक पेशेवर गायिका हैं। इस संगीत परिवार में जन्म लेने के कारण मोनाली को बचपन से ही संगीत में रुचि थी। उन्होंने भारतीय संगीत की शिक्षा पंडित जगदीश प्रसाद और अजय चक्रवर्ती से ली।
मोनाली ने अपने करियर की शुरुआत 2006 में 'इंडियन आइडल 2' में भाग लेकर की। इस शो में उनकी आवाज और प्रदर्शन ने दर्शकों को प्रभावित किया। हालांकि वह टॉप 9 में ही रहीं, लेकिन इस शो ने उन्हें बॉलीवुड में कदम रखने का मौका दिया।
मोनाली के करियर का सबसे बड़ा मोड़ 2008 में आया, जब उन्हें फिल्म 'रेस' में गाने का अवसर मिला। उन्हें पहले 'जरा-जरा टच मी' गाने के लिए कहा गया, लेकिन उनकी रिकॉर्डिंग इतनी बेहतरीन थी कि फिल्म के निर्देशक और संगीतकार ने उन्हें दूसरा गाना 'ख्वाब देखें झूठे मूठे' भी गाने का मौका दिया। इसने मोनाली के करियर को नई ऊंचाई दी और दोनों गाने हिट साबित हुए।
इसके बाद मोनाली ने कई हिट गाने दिए, जैसे 'लुटेरा' का 'संवार लूं', 'दम लगा के हइशा' का 'मोह मोह के धागे', और 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' का टाइटल सॉन्ग। उनके गाने न केवल लोकप्रिय हुए, बल्कि उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। 'संवार लूं' के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड मिला, जबकि 'मोह मोह के धागे' ने उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड दिलाया।
मोनाली केवल एक उत्कृष्ट गायिका नहीं, बल्कि एक बेहतरीन डांसर भी हैं। उन्होंने भरतनाट्यम, साल्सा और हिप-हॉप डांस की ट्रेनिंग ली है। इसके अलावा, उन्होंने बंगाली फिल्मों में भी गाने गाए हैं और स्वतंत्र संगीत एल्बम में भी अपनी आवाज दी है।