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कैंसर से जूझते हुए भी अभिनय की दुनिया में चमकते रहे शिव कुमार सुब्रमण्यम

शिव कुमार सुब्रमण्यम, भारतीय सिनेमा और टीवी के एक प्रेरणादायक कलाकार, जिन्होंने कैंसर से जूझते हुए भी अपने काम को जारी रखा। उनका करियर 'परिंदा' फिल्म से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने न केवल स्क्रीनप्ले लिखा बल्कि सहायक निर्देशक के रूप में भी काम किया। उन्होंने कई सफल फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और अपनी कहानी लेखन के लिए भी कई पुरस्कार जीते। उनके जीवन में व्यक्तिगत दुखों के बावजूद, उनका समर्पण और मेहनत सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी। जानें उनके अद्वितीय सफर के बारे में।
 

शिव कुमार सुब्रमण्यम: एक प्रेरणादायक कलाकार


मुंबई, 22 दिसंबर। भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के क्षेत्र में कुछ ही कलाकार ऐसे होते हैं, जो न केवल अपनी अदाकारी से पहचान बनाते हैं, बल्कि अपनी मेहनत और जुनून से दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। शिव कुमार सुब्रमण्यम ऐसे ही एक अद्वितीय कलाकार थे। उनके जीवन और करियर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उनके काम के प्रति समर्पण कभी कम नहीं हुआ। कैंसर से लंबी लड़ाई के बावजूद, उन्होंने अभिनय और स्क्रीनप्ले लेखन जारी रखा।


शिव कुमार सुब्रमण्यम का जन्म 23 दिसंबर 1959 को मुंबई में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा पुणे में प्राप्त की। बचपन से ही उन्हें अभिनय और रचनात्मकता का शौक था। थिएटर में काम करने का अनुभव उनके अभिनय कौशल को निखारने में सहायक रहा, जिससे उन्हें फिल्म और टीवी में पहचान मिली।


उनका करियर 1989 में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'परिंदा' से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने स्क्रीनप्ले लिखा और सहायक निर्देशक के रूप में भी काम किया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और शिव कुमार को इसके लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला। इस फिल्म ने उन्हें एक लेखक और बहुआयामी फिल्मकार के रूप में स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने '1942: ए लव स्टोरी', 'इस रात की सुबह नहीं', 'अर्जुन पंडित', 'चमेली', और 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' जैसी फिल्मों की कहानी लिखी।


'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ कहानी का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।


अभिनय में भी उनका सफर शानदार रहा। उन्होंने कई फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं और दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। 'कमीने' में मिस्टर लोबो और 'तीन पत्ती' में प्रोफेसर बोस के किरदार आज भी लोगों को याद हैं। इसके अलावा, उन्होंने 'टू स्टेट्स' में आलिया भट्ट के पिता का किरदार निभाया। 'हिचकी', 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर', 'नेल पॉलिश', 'लाखों में एक', 'रक्षक', और 'दैट गर्ल इन येलो बूट्स' जैसी कई फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। टीवी में भी उनका योगदान, विशेषकर 'मुक्तिबंधन' जैसे शो में, उल्लेखनीय रहा।


शिव कुमार सुब्रमण्यम की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे कैंसर से जूझते हुए भी काम करते रहे। यह उनकी मेहनत और पेशे के प्रति समर्पण को दर्शाता है। उनके सहकर्मियों और फिल्म निर्माताओं ने अक्सर कहा कि शिव कुमार का काम करने का जज्बा, उनकी बीमारी के बावजूद, सभी के लिए प्रेरणा था। उनका यह समर्पण साबित करता है कि सच्चा कलाकार कभी हार नहीं मानता।


व्यक्तिगत जीवन में भी उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 2022 में, उनके बेटे का ब्रेन ट्यूमर से निधन हुआ, जो उनके लिए एक बड़ा दुख था। इस दुख को सहते हुए भी शिव कुमार ने काम जारी रखा। लेकिन 10 अप्रैल 2022 को, पैनक्रियाज कैंसर से जूझते हुए उनका निधन हो गया।