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इमरान हाशमी की 'ग्राउंड जीरो': क्या यह फिल्म कश्मीर की सच्चाई को उजागर करती है?

इमरान हाशमी की नई फिल्म 'ग्राउंड जीरो' कश्मीर की सच्चाई को उजागर करती है। यह फिल्म अगस्त 2001 में श्रीनगर में आतंकवाद के प्रभाव को दर्शाती है। कहानी में बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ धर दुबे की भूमिका में इमरान हाशमी ने शानदार अभिनय किया है। फिल्म की कहानी, निर्देशन और संवादों की गुणवत्ता पर चर्चा की गई है। जानें कि क्या यह फिल्म दर्शकों को प्रभावित कर पाएगी और इसे कितने स्टार मिलते हैं।
 

इमरान हाशमी की वापसी


इमरान हाशमी, जो दो साल बाद बड़े पर्दे पर लौट रहे हैं, सलमान खान की 'टाइगर 3' में खलनायक की भूमिका निभाने के बाद अब 'ग्राउंड जीरो' में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अधिकारी का किरदार निभा रहे हैं। यह फिल्म उन कुछ बॉलीवुड प्रस्तुतियों में से एक है जो सही समय पर रिलीज हो रही है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में, 'ग्राउंड जीरो' एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को इतिहास की गंभीरता का एहसास कराएगी। वास्तविक घटनाओं पर आधारित और कश्मीर की पृष्ठभूमि में फिल्माई गई, यह फिल्म इमरान हाशमी के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बन गई है।


कहानी का सार

कहानी अगस्त 2001 में श्रीनगर से शुरू होती है, जहां एक कश्मीरी आतंकवादी युवा लड़कों को भड़काते हुए नजर आता है। ये लड़के पैसों और अपने परिवार की सुरक्षा के लालच में आतंकवाद की ओर बढ़ते हैं। इस दौरान, लगभग 70 सैनिकों को इन आतंकियों द्वारा मारा जाता है, जब तक कि बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ धर दुबे (इमरान हाशमी) एक ऑपरेशन के बाद शहर में लौटते हैं। जब नरेंद्र एक आईबी अधिकारी के साथ गाजी बाबा को पकड़ने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि गाजी का हाथ कई बड़े हमलों में है।


दूसरे भाग की गंभीरता

फिल्म का दूसरा भाग और भी गंभीर हो जाता है। नरेंद्र का दृढ़ संकल्प और उनकी टीम का उन पर विश्वास इस भाग में प्रमुखता से दिखता है। कुछ करीबी लोगों को खोने के बाद, एक बीएसएफ अधिकारी अपराधी को पकड़ने में सफल होता है। सात गोलियां झेलने के बावजूद, नरेंद्र आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद का सफाया करने के मिशन पर निकलते हैं।


लेखन और निर्देशन

'ग्राउंड ज़ीरो' कश्मीर में तैनात सैनिकों के साहस को सलाम करती है। यह फिल्म उन गुमनाम नायकों को उजागर करती है, जो अपनी जान की परवाह किए बिना देश की रक्षा करते हैं। हालांकि, संवादों में कमी महसूस होती है। देशभक्ति फिल्मों में आमतौर पर प्रभावशाली संवाद और गाने होते हैं, लेकिन 'ग्राउंड ज़ीरो' इस मामले में कमजोर साबित होती है।


अभिनय की गुणवत्ता

'ग्राउंड ज़ीरो' में सभी अभिनेताओं ने अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। इमरान हाशमी ने अपने किरदार में पूरी तरह से ढलने का प्रयास किया है। यह देखना सुखद है कि वह विभिन्न भूमिकाएं निभा रहे हैं। हालांकि, उनकी ऑनस्क्रीन पत्नी सई ताम्हणकर के साथ केमिस्ट्री की कमी खलती है।


अंतिम निर्णय

'ग्राउंड ज़ीरो' एक अच्छी फिल्म है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव हैं। यह कश्मीरी परिप्रेक्ष्य को सामने लाती है, जो वर्तमान समय में महत्वपूर्ण है। प्रामाणिकता और अच्छे निर्देशन के साथ, यह फिल्म 5 में से 3 स्टार की हकदार है।