क्या सच में धन से मिलती है खुशी? जानिए एक किसान की प्रेरणादायक कहानी
प्रेरणादायक कहानी: राजा और किसान
Today's Motivational Story (image Credit-Social Media)
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प्रेरणादायक कहानी: एक समय की बात है, चंदनपुर का राजा बहुत ही प्रतापी था। उसकी समृद्धि की कहानियाँ दूर-दूर तक फैली हुई थीं, और उसके महल में हर प्रकार की सुख-सुविधाएँ उपलब्ध थीं। फिर भी, राजा का मन हमेशा अशांत रहता था। उसने कई विद्वानों से सलाह ली, लेकिन उसे शांति नहीं मिली।
एक दिन, राजा ने disguise में अपने राज्य का दौरा करने का निर्णय लिया। चलते-चलते, वह एक खेत के पास पहुँचा, जहाँ उसने एक किसान को देखा। किसान ने फटे-पुराने कपड़े पहने हुए थे और वह पेड़ की छाँव में बैठकर भोजन कर रहा था।
राजा ने सोचा कि वह किसान को कुछ स्वर्ण मुद्राएँ दे दे, ताकि उसकी जिंदगी में खुशियाँ आ सकें। राजा किसान के पास गया और बोला, 'मैं एक राहगीर हूँ, मुझे तुम्हारे खेत में ये चार स्वर्ण मुद्राएँ मिलीं। चूँकि यह खेत तुम्हारा है, इसलिए ये तुम्हारी हैं।'
किसान ने विनम्रता से कहा, 'नहीं, सेठ जी, ये मुद्राएँ मेरी नहीं हैं। आप इन्हें अपने पास रखें या किसी और को दान कर दें। मुझे इनकी कोई आवश्यकता नहीं।'
किसान की यह प्रतिक्रिया राजा को अजीब लगी। राजा ने कहा, 'धन की आवश्यकता किसे नहीं होती? आप लक्ष्मी को कैसे ठुकरा सकते हैं?'
किसान ने उत्तर दिया, 'मैं रोज चार आने कमाता हूँ और उसी में खुश रहता हूँ।'
राजा ने आश्चर्य से पूछा, 'आप सिर्फ चार आने की कमाई करते हैं और खुश रहते हैं? यह कैसे संभव है?'
किसान ने कहा, 'खुशी इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आप कितना कमाते हैं, बल्कि इस पर निर्भर करती है कि आप अपने धन का उपयोग कैसे करते हैं।'
राजा ने पूछा, 'आप इन चार आनों का क्या करते हैं?' किसान ने उत्तर दिया, 'इनमें से एक आना मैं कुएं में डाल देता हूँ, दूसरा कर्ज चुकता करता हूँ, तीसरा उधार देता हूँ, और चौथा मिट्टी में गाड़ देता हूँ।'
राजा को यह उत्तर समझ में नहीं आया, लेकिन किसान वहाँ से चला गया। अगले दिन, राजा ने दरबार में इस घटना का जिक्र किया और सभी से किसान के उत्तर का अर्थ पूछा।
दरबारियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए, लेकिन कोई भी राजा को संतुष्ट नहीं कर पाया। अंत में, किसान को दरबार में बुलाने का निर्णय लिया गया।
किसान को खोजने के बाद, राजा ने उसे दरबार में बुलाया और कहा, 'मैं तुम्हारे उत्तर से प्रभावित हूँ। बताओ, तुम अपने चार आने कैसे खर्च करते हो?'
किसान ने कहा, 'एक आना मैं अपने परिवार के लिए, दूसरा अपने माता-पिता की सेवा में, तीसरा अपने बच्चों की शिक्षा में, और चौथा बचत के लिए रखता हूँ।'
राजा को अब किसान की बात समझ में आ गई थी। उसने सीखा कि अगर उसे खुश रहना है, तो उसे अपने धन का सही उपयोग करना होगा।
हालांकि आजकल लोगों की आमदनी बढ़ी है, लेकिन क्या हमारी खुशी भी उसी अनुपात में बढ़ी है? हमें अपने जीवन को संतुलित बनाना चाहिए और अपनी आमदनी और उसके उपयोग पर ध्यान देना चाहिए।