कानपुर के सैंमसी गांव में बन रहा भव्य राधा-कृष्ण मंदिर, प्रेमानंद महाराज की भक्ति का प्रतीक!
प्रेमानंद महाराज का अद्वितीय भक्ति सफर
Premanand Ji Maharaj Connection Kanpur Village Built Beautiful Radha Krishna Mandir
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प्रेमानंद महाराज: जब बचपन में प्रेम ईश्वर से जुड़ता है, तो वह भक्ति नहीं, बल्कि समर्पण बन जाता है। वृंदावन के श्री हित राधा केलिकुंज आश्रम के संत प्रेमानंद महाराज ने राधारानी के प्रति अपने बचपन में जो निश्छल प्रेम और भक्ति का भाव विकसित किया था, वह अब एक मंदिर के रूप में आकार ले रहा है। कानपुर देहात के सरसौल ब्लॉक के सैंमसी गांव में वह साधना भूमि है, जहां महाराज जी ने चार वर्षों तक तप किया। अब यह स्थल श्री राधारानी के भव्य मंदिर के रूप में विकसित हो रहा है। गांव के लोग कह रहे हैं कि 'जहां कभी बालक प्रेमानंद ने राधारानी को पुकारा था, अब वहां राधारानी स्वयं विराजेंगी।'
सैंमसी गांव से प्रेमानंद महाराज का गहरा संबंध
श्री प्रेमानंद महाराज आज राधा भक्ति और आध्यात्मिक चेतना के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत एक छोटे से ग्रामीण मंदिर से हुई थी, जो अब धर्मस्थली बनने की ओर अग्रसर है। लगभग 13 वर्ष की आयु में, वे कानपुर देहात के नरवल तहसील के अखरी गांव से सैंमसी पहुंचे। यहां देवरा माता मंदिर में उन्होंने अपने प्रारंभिक साधना के चार वर्ष बिताए। इस दौरान उन्हें प्रमुख संत महंत गणेशानंद स्वामी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। ग्रामीणों ने उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानकर स्नेह और सेवा प्रदान की, जिससे यह साधना भूमि उनके हृदय में बस गई।
चार वर्षों की तपस्या और राधाभाव का विस्तार
सैंमसी में चार वर्षों की गहन साधना के बाद, वे ब्रज भूमि की ओर बढ़े और वृंदावन में श्री हित राधा केलिकुंज आश्रम की स्थापना की। लेकिन उनकी आत्मा का एक हिस्सा उस गांव की मिट्टी में रह गया था, जहां से उनकी राधाभक्ति यात्रा शुरू हुई थी। 1 जुलाई 2025 को, सैंमसी गांव के पूर्व प्रधान विष्णुदत्त अवस्थी उर्फ मुन्ना भैया को वृंदावन स्थित आश्रम से प्रेमानंद महाराज का फोन आया। उन्होंने बाल्यकाल की साधना भूमि पर श्री राधारानी का भव्य मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की। 2 जुलाई को पूर्व प्रधान और गांव के 20 लोग वृंदावन पहुंचे और महाराज जी से मिले। वहां एकांत वार्ता में मंदिर निर्माण का निर्णय लिया गया।
देवरा माता मंदिर ट्रस्ट का गठन और भूमि रजिस्ट्री
महाराज जी की प्रेरणा से देवरा माता मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया। इसके अंतर्गत सवा बीघा जमीन की ट्रस्ट के नाम पर विधिवत रजिस्ट्री की गई। यह न केवल आध्यात्मिक, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी मंदिर निर्माण की ठोस आधारशिला है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंदिर का स्वरूप पारंपरिक ब्रजशैली में होगा, जिसमें राधारानी की प्रतिमा के साथ कथा सभागार, भक्त निवास, साधना कक्ष और सेवा केंद्र की व्यवस्था भी प्रस्तावित है। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं होगा, बल्कि प्रेम, समर्पण और सेवा के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा।
गांव में भक्तिभाव की लहर और मिल रहा जनसहयोग
मंदिर निर्माण की घोषणा के बाद सैंमसी गांव में उत्सव का माहौल है। ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर सहयोग देने का संकल्प लिया है। गांव की महिलाएं भजन मंडलियों में जुट गई हैं, युवक श्रमदान की योजना बना रहे हैं और बुजुर्ग इस ऐतिहासिक क्षण को जीने में मग्न हैं।
राधा प्रेम की शिक्षा और विस्तार
राधा रानी के प्रति अपनी अटूट भक्ति के चलते लोकप्रिय हो चुके प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों में हमेशा कहते हैं कि, 'राधा नाम ही प्रेम का सार है।' यह मंदिर उसी प्रेम को समाज के कोने-कोने में फैलाने का केंद्र बनेगा। यहां बच्चों को भक्ति सिखाई जाएगी, युवाओं को सेवा और बड़ों को ध्यान का मार्ग मिलेगा।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और संत समाज ने इस पहल का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह मंदिर धार्मिक पर्यटन, स्थानीय विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का केंद्र बन सकता है। प्रेमानंद महाराज की बाल्यकालीन तपोस्थली अब सिद्ध भूमि बनने जा रही है। यह मंदिर न केवल उनकी साधना का स्मारक होगा, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा बनेगा जो सच्चे प्रेम और भक्ति की राह पर चलना चाहते हैं।