राजू श्रीवास्तव: कॉमेडी के बादशाह का सफर और उनकी अनोखी शैली
राजू श्रीवास्तव का हास्य सफर
मुंबई, 23 दिसंबर। हिंदी कॉमेडी के क्षेत्र में राजू श्रीवास्तव का नाम सुनते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। उन्होंने अपने दर्शकों को हंसाने के लिए न तो जटिल शब्दों का सहारा लिया और न ही फूहड़ता का सहारा लिया। उनकी सबसे बड़ी ताकत थी आम जीवन की छोटी-छोटी घटनाएं। चाहे बस में यात्रा कर रहे लोग हों, मोहल्ले की आंटी हों, या शादी में खाना खाने वाले लोग, राजू ने इन्हीं साधारण चीजों से हंसी का सृजन किया।
उनकी कॉमेडी की एक विशेषता यह थी कि वे निर्जीव वस्तुओं को भी जीवंत बना देते थे। थाली में रखे चावल, दाल और रोटी के बीच संवाद की कल्पना करते हुए उनकी आवाज में बोलने लगते थे, जिससे उनकी अदाकारी में एक अलग ही रंग भर जाता था।
राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर 1963 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ। उनका असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। उनके पिता, रमेश चंद्र श्रीवास्तव, जिन्हें बलई काका के नाम से जाना जाता था, एक कवि थे। घर का माहौल साहित्य और कला से भरा हुआ था। बचपन से ही राजू को लोगों की नकल करने का शौक था। वे स्कूल में अपने शिक्षकों की नकल करके दोस्तों को हंसाते थे। यही शौक आगे चलकर उनके करियर का आधार बना। पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे बड़े सपनों के साथ मुंबई आए, लेकिन उनका रास्ता आसान नहीं था।
मुंबई में अपने शुरुआती दिनों में राजू को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा। कभी छोटे-मोटे रोल मिले, तो कभी काम नहीं मिला। गुजारा करने के लिए उन्होंने रिक्शा चलाया। कई बार वे छोटे स्टेज शो में केवल 50 रुपए में परफॉर्म करते थे। उन्होंने 'तेजाब', 'मैंने प्यार किया', 'बाजीगर', और 'बॉम्बे टू गोवा' जैसी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए, लेकिन असली पहचान उन्हें स्टैंड-अप कॉमेडी से मिली। साल 2005 में टीवी शो 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' ने उनकी किस्मत बदल दी। इसी मंच पर उन्होंने अपनी अनोखी शैली से पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया।
राजू श्रीवास्तव की कॉमेडी का सबसे अनोखा पहलू था रोजमर्रा की चीजों को इंसानी अंदाज में पेश करना। एक प्रसिद्ध एक्ट में उन्होंने शादी में खाने की थाली को कहानी का पात्र बना दिया। चावल, दाल, नान और सब्जी आपस में बातें करते हैं- 'कौन पहले खाया जाएगा, कौन प्लेट में बच जाएगा।' यह सुनकर दर्शक हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते थे, क्योंकि ये चीजें हर किसी ने अपनी जिंदगी में देखी हैं। इसी तरह वे ट्रेन, भीड़, सरकारी दफ्तर और आम आदमी की चाल-ढाल को मंच पर हू-ब-हू नकल करते थे। यही वजह थी कि उनकी कॉमेडी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को समझ आती थी।
'गजोधर भैया' का किरदार उनकी पहचान बन गया। यह एक भोले-भाले देसी आदमी का किरदार था, जिसकी सोच थोड़ी अलग होती थी। इस किरदार के माध्यम से राजू ने गांव और छोटे शहरों के लोगों को राष्ट्रीय मंच पर जगह दी। उनकी अमिताभ बच्चन की मिमिक्री भी बहुत प्रसिद्ध रही, और खुद अमिताभ बच्चन ने उनकी तारीफ की थी। उन्होंने टीवी शो 'बिग बॉस 3' में भी भाग लिया और कई रियलिटी और कॉमेडी शोज में नजर आए।
राजू श्रीवास्तव को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले। वे उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष भी रहे और नोएडा फिल्म सिटी को आगे बढ़ाने के लिए काम किया। राजनीति में भी उन्होंने कदम रखा और बाद में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े। 21 सितंबर 2022 को उनका निधन हो गया। उनके जाने से देश ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया, जिसने बिना किसी बनावट के आम जिंदगी को मंच पर लाकर लोगों को हंसाया।