पंडित अजय चक्रवर्ती: भारतीय शास्त्रीय संगीत के जादूगर का सफर
पंडित अजय चक्रवर्ती का संगीत सफर
नई दिल्ली, 24 दिसंबर। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पंडित अजय चक्रवर्ती एक प्रतिष्ठित नाम हैं। पटियाला-कसूर घराने से जुड़े होने के बावजूद, वे उस्ताद बड़े गुलाम अली खान की गायकी की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। उनकी विशेषता यह है कि वे केवल एक घराने तक सीमित नहीं हैं।
पंडित चक्रवर्ती इंदौर, दिल्ली, जयपुर, ग्वालियर, आगरा, किराना और रामपुर जैसे उत्तर भारतीय घरानों के साथ-साथ दक्षिण भारतीय कर्नाटक संगीत की बारीकियों को भी बखूबी प्रस्तुत करते हैं। उनकी गायकी ठुमरी और ख्याल दोनों में गहराई लिए होती है, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती है।
वे अपने संगीत के सफर को भगवान का आशीर्वाद मानते हैं। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन किस्मत ने उन्हें विजय किचलू जैसे गुरु से मिलवाया, जो आगरा घराने के विद्वान थे। किचलू साहब की मदद से उन्हें कोलकाता में आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी में पढ़ाई का अवसर मिला। यहां उन्होंने घरानों की गहराई को समझा।
अकादमी में उनके साथी राशिद खान ने उन्हें प्रेरित किया, भले ही वह उम्र में छोटे थे। अकादमी के भारत और विदेशों में संगीत दौरों के दौरान, उन्होंने कई दिग्गजों से मुलाकात की, जिनमें पंडित हरिप्रसाद चौरासिया भी शामिल हैं। अजय चक्रवर्ती घंटों बांसुरी बजाते हुए उन्हें सुनते थे। इन अनुभवों ने उन्हें कड़ी मेहनत की राह पर ला दिया।
अपने लंबे संगीत सफर में सीखी हर बात को वे युवा पीढ़ी तक पहुंचाना चाहते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने अपना संगीत संस्थान 'श्रुतिनंदन' स्थापित किया। यह कोई साधारण स्कूल नहीं है, बल्कि संगीत की खूबसूरत दुनिया का द्वार है। यहां छात्रों को केवल गाना या वाद्य यंत्र बजाना नहीं सिखाया जाता, बल्कि किसी भी शैली के अच्छे संगीत की सराहना करना भी सिखाया जाता है।
ठुमरी में भावुकता और ख्याल में गहराई लाने वाले पंडित चक्रवर्ती का मानना है कि संगीत की सच्ची समझ तभी आती है जब आप विभिन्न घरानों और शैलियों का सम्मान करें।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "संगीत एक साधना है और 'श्रुतिनंदन' का उद्देश्य संगीत की खूबसूरत दुनिया को खोलना था। मैं उन्हें केवल गाना या वाद्य यंत्र बजाना ही नहीं सिखाता, बल्कि किसी भी शैली के अच्छे संगीत की सराहना करना भी सिखाता हूं।"
श्रुतिनंदन में दाखिला लेने की एक खास शर्त है। उन्होंने बताया कि कोई भी जो संगीत में रुचि रखता है, वह यहां दाखिला ले सकता है। हालांकि, छात्रों को 5 से 11 साल की उम्र तक ही प्रवेश मिलता है, क्योंकि बचपन में ही संगीत की बुनियाद मजबूत बनाई जा सकती है।
श्रुतिनंदन ने कई प्रतिभाशाली संगीतकारों को तैयार किया है, जो आज विभिन्न मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। पंडित अजय चक्रवर्ती की गायकी में पटियाला घराने की बोल बनावट और तानें तो हैं ही, लेकिन अन्य घरानों की मिठास भी घुली-मिली है। उनके कार्यक्रम विश्वभर में सराहे जाते हैं।
वे न केवल एक गायक हैं, बल्कि संगीत के सच्चे साधक हैं, जो परंपरा को जीवित रखते हुए नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं। उनकी गायकी में विभिन्न घरानों की बारीकियां घुली-मिली हैं, जो उन्हें खास बनाती हैं। भारत सरकार ने उनके संगीत क्षेत्र में योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें 2011 में पद्म श्री और 2020 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।