नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जटिल यादव: एक भावनात्मक सफर की कहानी
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नया किरदार
मुंबई, 22 दिसंबर। भारतीय फिल्म उद्योग में नवाजुद्दीन सिद्दीकी उन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने अभिनय कौशल से दर्शकों को हमेशा सोचने पर मजबूर किया है। वह अपने पात्रों को केवल निभाते नहीं हैं, बल्कि उन्हें जीते हैं, जिससे उनके निभाए गए किरदार लंबे समय तक दर्शकों के दिलों में बस जाते हैं। हाल ही में, नवाजुद्दीन ने एक इंटरव्यू में अपनी नई फिल्म 'रात अकेली है: द बंसल मर्डर्स' में इंस्पेक्टर जटिल यादव के किरदार के बारे में महत्वपूर्ण बातें साझा की।
उन्होंने बताया कि इस किरदार में लौटना उनके लिए एक भावनात्मक यात्रा रही।
नवाजुद्दीन ने कहा, "जब मैं जटिल यादव के किरदार में वापस आया, तो यह सिर्फ एक भूमिका नहीं थी, बल्कि खुद को और उस किरदार को नए दृष्टिकोण से समझने का एक अवसर था। समय के साथ इंसान बदलता है, और यह बदलाव किरदार में भी स्पष्ट दिखाई दिया। जटिल अब पहले जैसा नहीं रहा है। जीवन, समय और विभिन्न मामलों ने उसे भीतर से बदल दिया है, लेकिन एक चीज जो नहीं बदली, वह है उसका सच के प्रति दृष्टिकोण। जटिल आज भी हर मामले को निष्पक्षता से देखता है और किसी भी दबाव के आगे झुकता नहीं है।"
अभिनेता ने आगे कहा, "जटिल अपने भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं करता। इस किरदार को निभाने के लिए मुझे अपनी गहराइयों में जाना पड़ा, क्योंकि ऐसे किरदार को निभाने के लिए शांति की आवश्यकता होती है। कई बार, संवादों से ज्यादा खामोशी बोलती है, खासकर जब किरदार एक छोटे शहर का पुलिस अधिकारी हो और उसे शक्तिशाली लोगों और व्यवस्था का सामना करना पड़े।"
नवाजुद्दीन ने कहा, "यह अनुभव मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। जटिल अपने अतीत को हमेशा अपने साथ रखता है। उसके पुराने अनुभव, असफलताएं और संघर्ष नए मामलों को देखने के उसके दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं। एक अभिनेता के रूप में, वर्षों बाद उसी किरदार को निभाना आसान नहीं होता। इसके लिए खुद को याद दिलाना पड़ता है कि पहले वह इंसान कौन था और समय के साथ वह कैसे बदला है। यही बदलाव किरदार में भी स्पष्ट होना चाहिए।"
डायरेक्टर हनी त्रेहन के साथ दोबारा काम करने के अनुभव पर नवाजुद्दीन ने कहा, "हनी फिल्म की दुनिया को बहुत संवेदनशीलता से समझते हैं। उनका निर्देशन बेहद सटीक होता है। वह सस्पेंस पैदा करने के लिए शोर या अधिक संवादों का सहारा नहीं लेते, बल्कि खामोशी, ठहराव और अनकही बातों से माहौल बनाते हैं। यही चीज फिल्म को और भी प्रभावशाली बनाती है।"