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क्या कार्तिक आर्यन की फिल्में समाज में बदलाव लाने का काम कर रही हैं?

कार्तिक आर्यन की फिल्मों ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया है, बल्कि समाज में महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रकाश डाला है। उनकी हालिया फिल्में जैसे 'तू मेरी मैं तेरा' और 'सत्यप्रेम की कथा' ने पारंपरिक सोच को चुनौती दी है। जानें कैसे ये फिल्में रिश्तों, जेंडर पहचान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे संवेदनशील विषयों को छूती हैं। क्या कार्तिक आर्यन की ये फिल्में समाज में बदलाव लाने में सफल हो रही हैं? पढ़ें पूरी कहानी।
 

कार्तिक आर्यन: एक अभिनेता जो सोचने पर मजबूर करता है

मुंबई, 29 दिसंबर। बॉलीवुड में कई फिल्में केवल मनोरंजन के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे हैं जो अपने काम के माध्यम से दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर करते हैं। कार्तिक आर्यन उन अभिनेताओं में से एक हैं, जिन्होंने न केवल रोमांस और कॉमेडी पेश की है, बल्कि समाज में हो रहे परिवर्तनों, रिश्तों की मजबूती और आधुनिक मूल्यों को भी अपने किरदारों के जरिए दर्शाया है। उनकी कई फिल्में दर्शकों के मन में सवाल उठाती हैं।

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी' इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह एक रोमांटिक ड्रामा है जो पारंपरिक विवाह और परिवार से जुड़े रूढ़िवादी विचारों को चुनौती देती है। फिल्म में एक सरल लेकिन प्रभावशाली सवाल उठाया गया है: 'शादी के बाद हमेशा लड़की से ही घर छोड़ने की उम्मीद क्यों की जाती है?' कार्तिक का किरदार इस सोच को बदलने के लिए खुद घर छोड़ने का निर्णय लेता है, जो एक साहसिक और आधुनिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

'भूल भुलैया 3' में कार्तिक ने राजकुमार देबेंद्रनाथ का किरदार निभाया, जो स्त्री वेश धारण कर नृत्य करना पसंद करता है। जब उनकी पहचान का खुलासा होता है, तो उन्हें सामाजिक अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है। फिल्म में डर और सस्पेंस के बावजूद, यह सहानुभूति और स्वीकार्यता का संदेश देती है।

फिल्म 'सत्यप्रेम की कथा' ने भी गंभीर मुद्दों को उठाया है, जैसे 'ना' का मतलब 'ना' होता है, जेंडर-बेस्ड वायलेंस और यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाना। कार्तिक ने सत्यप्रेम नामक लड़के का किरदार निभाया है, जो घर के सभी काम करता है और उसकी शादी कियारा आडवाणी के किरदार से होती है। फिल्म में संवेदनशील विषयों को बारीकी से प्रस्तुत किया गया है।

इसके अलावा, 'लुका छुपी' छोटे शहरों में रिश्तों और लिव-इन रिलेशनशिप पर हल्के-फुल्के अंदाज में प्रकाश डालती है। कार्तिक ने गुड्डू का किरदार निभाया है, जो शादी से पहले लिव-इन में रहने का निर्णय लेते हैं। यह फिल्म सामाजिक रूढ़िवादिता, पीढ़ियों के बीच टकराव और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर भी सवाल उठाती है।