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क्या ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने सिनेमा के अनुभव को बदल दिया? माधुरी दीक्षित की राय जानें!

बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने हाल ही में सिनेमा के बदलते परिदृश्य पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने दर्शकों के फिल्म देखने के अनुभव को प्रभावित किया है। बढ़ती टिकट कीमतों के कारण परिवार अब सोच-समझकर फिल्में देखने का निर्णय लेते हैं। माधुरी ने यह भी कहा कि ओटीटी और थिएटर दोनों के अपने फायदे हैं, और दर्शकों को अब अपने समय और खर्च का ध्यान रखते हुए निर्णय लेना पड़ता है। जानें इस विषय पर उनके और क्या विचार हैं।
 

सिनेमा का बदलता चेहरा




मुंबई, 28 दिसंबर। सिनेमा हमेशा से लोगों के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन रहा है। बड़े पर्दे पर फिल्म देखना एक अद्वितीय अनुभव है, लेकिन हाल के वर्षों में सिनेमा देखने के तरीकों में काफी बदलाव आया है। टिकट की बढ़ती कीमतें और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता पर बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने एक इंटरव्यू में अपने विचार साझा किए।


उन्होंने बताया कि ये बदलाव सिनेमा उद्योग और दर्शकों की पसंद पर किस तरह से प्रभाव डाल रहे हैं।


माधुरी दीक्षित ने कहा, "अच्छी फिल्में आज भी दर्शकों को आकर्षित करती हैं, लेकिन बढ़ती टिकट कीमतें परिवारों को सोच-समझकर फिल्म देखने के लिए मजबूर कर रही हैं। पहले लोग बिना किसी चिंता के थिएटर में फिल्म देखने जाते थे, लेकिन अब एक परिवार के लिए टिकट का खर्च इतना बढ़ गया है कि उन्हें बजट के अनुसार निर्णय लेना पड़ता है कि कौन-सी फिल्म देखनी है और कौन-सी छोड़नी है।"


उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल बजट पर ही नहीं, बल्कि दर्शकों के थिएटर जाने के अनुभव और योजना बनाने के तरीके पर भी असर डाल रहा है।


माधुरी ने आगे कहा, "ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कारण लोग अब अपने घर पर ही फिल्में देख सकते हैं। काम से थककर घर लौटने वाले लोग अब रात में थिएटर जाने के बजाय अपने आरामदायक घर में फिल्म देखना पसंद करते हैं। अब लोग घर पर पॉपकॉर्न और स्नैक्स बनाकर पूरी सुविधा के साथ फिल्म का आनंद ले सकते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए आसान है जो सप्ताह में हर दिन काम करते हैं और शाम को थिएटर जाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।"


उन्होंने बताया कि आजकल ज्यादातर लोग शाम को साढ़े आठ या नौ बजे तक घर आते हैं। इसके बाद थिएटर जाने में समय और ऊर्जा लगती है, इसलिए अब वीकेंड या छुट्टियों में ही लोग थिएटर का रुख करते हैं। यही कारण है कि परिवारों को टिकट का खर्च और समय दोनों देखकर ही फिल्म चुननी पड़ती है। अच्छी फिल्में अभी भी चलेंगी, लेकिन दर्शकों के निर्णय अब और सोच-समझ कर होते हैं।


माधुरी दीक्षित ने यह भी बताया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और थिएटर दोनों के अपने फायदे हैं। ओटीटी की सुविधा सस्ती और आरामदायक है, जबकि थिएटर में बड़े पर्दे का अनुभव कुछ अलग होता है। लोग अभी भी सिनेमा का अनुभव पसंद करते हैं, लेकिन कुछ चीजों में सुधार की आवश्यकता है ताकि लोग थिएटर जाने का निर्णय खुशी-खुशी करें।


अभिनेत्री ने कहा कि उन्हें सिनेमा के भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं है, बल्कि यह जरूरी है कि अनुभव और सुविधाओं में सुधार हो।


उन्होंने कहा, "ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने दर्शकों को फिल्मों को देखने के विकल्प दिए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि थिएटर का समय खत्म हो गया। यदि फिल्म अच्छी है, तो वह चलेगी और लोग थिएटर में भी देखने आएंगे। फर्क केवल इतना है कि अब लोग ज्यादा सोच-समझकर और अपने समय और खर्च का ध्यान रखकर निर्णय लेते हैं।"