किसान दिवस पर अमोल पाराशर ने कविता के माध्यम से किसानों की पीड़ा को उजागर किया
किसान दिवस पर अमोल पाराशर का विशेष संदेश
मुंबई, 23 दिसंबर। हर साल भारत में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को 'किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियों की शुरुआत की थी। इस खास मौके पर अभिनेता अमोल पाराशर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया।
अमोल ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने किसानों की कठिनाइयों और संघर्षों को उजागर किया। इस वीडियो में, अभिनेता ने प्रसिद्ध कवि विहाग वैभव की एक प्रसिद्ध कविता की कुछ पंक्तियों को अपनी आवाज में पढ़ा। यह कविता किसानों की वर्तमान चुनौतियों पर गहरा प्रकाश डालती है और ईश्वर से निवेदन करती है कि वे एक बार फिर इस धरती पर आएं।
वीडियो में अमोल कहते हैं, "ईश्वर ने धरती पर सेनानायक, न्यायाधीश, राजा और ज्ञानी के रूप में अवतार लिया है, लेकिन अब जब किसानों की समस्याएं बढ़ रही हैं, जैसे कि घास और कीड़े उनकी फसल को नष्ट कर रहे हैं, तो ईश्वर को किसान बनकर आना चाहिए। मुझे लगता है कि ईश्वर किसान बनने से डरता है। वह जेल, महल या युद्ध में अवतार लेता रहा है, लेकिन अब उन्हें खेतों में आना चाहिए।"
अमोल आगे कहते हैं, "उस चार हाथों वाले ईश्वर के शरीर पर मिट्टी हो, पसीना चिपका हो, उसकी पसलियां दिख रही हों। एक हाथ में कुल्हाड़ी, दूसरे में हंसिया, तीसरे में अनाज और चौथे में साहूकार के कर्ज का कागज हो। ऐसा ईश्वर देखना कितना रोमांचक होगा। मुझे विश्वास है कि वह कर्ज का परचा पढ़कर दुखी हो जाएगा और महसूस करेगा कि इस देश में ईश्वर बनना किसान बनने से कहीं आसान है। अगर ईश्वर कहीं हैं और सचेत हैं, तो अब उन्हें अनाज बोना, काटना और रोना चाहिए।"
अभिनेता ने वीडियो के साथ लिखा, "पूरी दुनिया किसानों पर निर्भर है। किसान और मजदूर ही दुनिया का पालन-पोषण करते हैं। फिर भी, सबसे ज्यादा दुख और परेशानी इन्हीं वर्गों को झेलनी पड़ती है, क्योंकि हर तरह के अत्याचार और बोझ का असर सबसे पहले और सबसे ज्यादा इन्हीं पर पड़ता है।"