ओड़िया साहित्य के सितारे रमाकांत रथ का निधन: जानें उनके जीवन और योगदान के बारे में
रमाकांत रथ का निधन

पद्म भूषण से सम्मानित प्रसिद्ध ओड़िया कवि रमाकांत रथ का जीवन परिचय
पद्म भूषण से सम्मानित प्रसिद्ध ओड़िया कवि रमाकांत रथ का जीवन परिचय
प्रसिद्ध कवि रमाकांत रथ का जीवन परिचय: ओड़िया साहित्य के महान हस्ताक्षर और पद्म भूषण पुरस्कार विजेता रमाकांत रथ का निधन 16 मार्च 2025 को हुआ। उनके निधन से ओड़िया साहित्य में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई प्रमुख व्यक्तियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
रमाकांत रथ का जन्म 13 दिसंबर 1934 को कटक, ओडिशा में हुआ। वे आधुनिक ओड़िया कविता के प्रमुख कवियों में से एक माने जाते थे। उनके परिवार में तीन बेटियां और एक बेटा हैं। उनकी कविताएं भारतीय साहित्य की गहरी संवेदनाओं और दार्शनिक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
उनकी छोटी बेटी ने बताया कि उनके बेटे के विदेश से लौटने के बाद सोमवार को पुरी के स्वर्गद्वार में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
रमाकांत रथ: संक्षिप्त जीवन परिचय
जन्म: 13 दिसंबर 1934, कटक, ओडिशा।
निधन: 16 मार्च 2025
- भाषा: उड़िया
- मुख्य विधाएं: कविता, निबंध, अनुवाद
सम्मान:
पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सरला पुरस्कार
साहित्यिक योगदान
रमाकांत रथ की रचनाएं ओड़िया साहित्य में आधुनिकता और यथार्थवाद को नई ऊंचाइयों पर ले गईं।
उन्होंने अपनी कविताओं में मानवीय भावनाओं, आध्यात्मिकता और समाज की सच्चाइयों को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया।
प्रमुख कृतियां
1. "सप्तम ऋतु"(1963) – उड़िया साहित्य में नई काव्य धारा का परिचय।
2. "सहस्रार चक्र"(1972) – जीवन, दर्शन और आध्यात्मिकता पर आधारित कविताएं।
3. "अन्य कविताएं" (1981) – समकालीन उड़िया कविता में क्रांति लाने वाला संग्रह।
4. "शब्दरा शिल्पी" – भाषा और संवेदना का उत्कृष्ट मेल।
5. "कविता संग्रह"– उनकी कई चर्चित कविताओं का संकलन।
उनकी कविताएं केवल ओडिशा में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में पढ़ी और सराही जाती हैं। उनकी रचनाओं का हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली और अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।
सम्मान और पुरस्कार
1. पद्म भूषण (2006) – भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए।
2. साहित्य अकादमी पुरस्कार (1979) काव्य संग्रह सप्तम ऋतु के लिए।
3. सरला पुरस्कार – उड़िया साहित्य में योगदान के लिए।
4. गंगाधर राष्ट्रीय पुरस्कार –
भारतीय काव्य परंपरा को समृद्ध करने के लिए।
5. विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट. की उपाधि।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया था शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रमाकांत रथ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा:
"रमाकांत रथ जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी कविताएँ हमेशा पाठकों को प्रेरित करती रहेंगी। ओड़िया भाषा और भारतीय साहित्य को उनके योगदान के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।"
साहित्य जगत में शोक की लहर
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, "रमाकांत रथ ने ओड़िया साहित्य को विश्व मंच पर पहचान दिलाई। उनका निधन अपूरणीय क्षति है।"
साहित्य अकादमी और अन्य साहित्यिक संगठनों ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। ओडिशा के विभिन्न शहरों में साहित्यकारों और पाठकों ने उनकी याद में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कीं।
निधन और अंतिम संस्कार
रमाकांत रथ का अंतिम संस्कार उनके गृहनगर कटक में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके परिवार, प्रशंसकों और साहित्यकारों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। रमाकांत रथ का निधन ओड़िया साहित्य के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपनी कविताओं से साहित्य में आधुनिकता और संवेदनशीलता का नया युग स्थापित किया। उनकी रचनाएं न केवल ओडिशा बल्कि संपूर्ण भारत में प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। उनका योगदान साहित्य जगत में अमर रहेगा।