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6 दिसंबर: बॉलीवुड के दो महान सितारों की पुण्यतिथि, जानें उनकी अनकही कहानियाँ

6 दिसंबर का दिन भारतीय सिनेमा के लिए खास है, क्योंकि इस दिन दो महान सितारे, बीना राय और राम मोहन, ने इस दुनिया को अलविदा कहा। बीना राय, जो 'अनारकली' के नाम से मशहूर थीं, और राम मोहन, जिन्होंने 'नदिया के पार' में चाचा जी का किरदार निभाया, दोनों ने अपने अद्वितीय अभिनय से सिनेमा को समृद्ध किया। इस लेख में जानें उनके जीवन की अनकही कहानियाँ और उनके योगदान।
 

बॉलीवुड के अनमोल सितारे




मुंबई, 5 दिसंबर। भारतीय सिनेमा के प्रशंसकों के लिए 6 दिसंबर का दिन विशेष रूप से भावुक है। इस दिन, दो अद्भुत सितारे, जिनमें प्रसिद्ध अभिनेत्री बीना राय और 'नदिया के पार' के चाचा के नाम से मशहूर अभिनेता राम मोहन ने इस दुनिया को अलविदा कहा।


बीना राय और राम मोहन दोनों ने अपने-अपने समय में सिनेमा को एक अनोखा रंग दिया, जिसे आज भी याद किया जाता है। 6 दिसंबर को उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है।


बीना राय, जो 'अनारकली' के नाम से जानी जाती थीं, ने अपने अभिनय से काले और सफेद दौर में भी दर्शकों का दिल जीता। उनका जन्म 4 जून 1931 को लाहौर में हुआ था, और उनका बचपन बंटवारे की कठिनाइयों के बीच कानपुर और लखनऊ में बीता। आईटी कॉलेज, लखनऊ में पढ़ाई के दौरान उन्होंने नाटकों में भाग लिया, जिससे उनके अभिनय की नींव पड़ी।


अभिनय में करियर बनाने की उनकी इच्छा इतनी प्रबल थी कि उन्होंने अपने परिवार को मनाने के लिए भूख हड़ताल तक कर दी। अंततः उनके माता-पिता को उनकी बात माननी पड़ी। मुंबई आकर, उन्होंने 1951 में किशोर साहू की फिल्म 'काली घटा' से अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि यह फिल्म सफल नहीं रही, लेकिन उनकी खूबसूरती ने सबका ध्यान खींचा।


1953 में आई फिल्म 'अनारकली' ने उन्हें असली पहचान दिलाई, जहां प्रदीप कुमार के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने सराहा। इसके बाद उन्होंने 'घूंघट', 'ताजमहल', और 'दादी मां' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया।


बीना राय ने अभिनेता प्रेम नाथ से विवाह किया और उनके दो बेटे प्रेम किशन और कैलाश नाथ हैं। उन्होंने 2009 में इस दुनिया को अलविदा कहा। कपूर परिवार के साथ भी उनका खास रिश्ता था, क्योंकि प्रेमनाथ की बहन की शादी राज कपूर से हुई थी।


दूसरी ओर, राम मोहन ने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया और हर किरदार में अपनी छाप छोड़ी। उन्हें कभी लीड रोल नहीं मिला, लेकिन सहायक और चरित्र अभिनेता के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। 'जग्गू' की सफलता के बाद उनके लिए नए दरवाजे खुले। उन्होंने 'जंजीर', 'शान', 'अंगूर', 'रंगीला', और 'कोयला' जैसी फिल्मों में अपने किरदार को बखूबी निभाया।


राम मोहन को 1982 की सुपरहिट फिल्म 'नदिया के पार' में 'चाचा जी' के किरदार से सबसे ज्यादा पहचान मिली। इसके अलावा, उन्होंने 'महाभारत' और 'मिर्जा गालिब' जैसे धारावाहिकों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। 6 दिसंबर 2015 को उन्होंने हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ दिया।