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भारत के वो अनोखे मंदिर जहां नॉनवेज प्रसाद चढ़ाया जाता है!

भारत में कुछ मंदिरों में नॉनवेज प्रसाद चढ़ाने की अनोखी परंपरा है। ये मंदिर हिंदू धर्म की विविधता को दर्शाते हैं, जहां देवी-देवताओं को मांस, मछली और शराब अर्पित की जाती है। जानें ऐसे ही कुछ खास मंदिरों के बारे में, जैसे कामाख्या मंदिर, काल भैरव मंदिर और विमला मंदिर, जहां भक्तों को नॉनवेज प्रसाद का आनंद मिलता है।
 

नॉनवेज मंदिर परंपराएं:

Top 5 indian temple where nonveg offered to God and served as prasad (social media)

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नॉनवेज मंदिर परंपराएं: हिंदू धर्म को अक्सर शाकाहारी भोजन से जोड़ा जाता है, जिसके चलते अधिकांश मंदिरों में केवल शाकाहारी प्रसाद ही वितरित किया जाता है। लेकिन भारत की विविधता में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां देवी-देवताओं को मांस, मछली और शराब जैसे नॉनवेज प्रसाद चढ़ाए जाते हैं और भक्तों में बांटे जाते हैं। यह हिंदू संस्कृति की विविधता को दर्शाता है।


कामाख्या मंदिर, असम

गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर देवी शक्ति का प्रमुख स्थल है। यहां देवी को बकरी की बलि दी जाती है और मांस को पकाकर भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। विशेष रूप से अम्बुबाची मेले के दौरान ‘खासी’ नामक विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है। यहां मछली की चटनी भी देवी को अर्पित की जाती है। मान्यता है कि यह देवी की मासिक धर्म की अवधि होती है और इस दौरान ‘अंगधक’ नामक कपड़ा, जो देवी के रक्त से रंजित माना जाता है, भक्तों को पवित्र प्रसाद के रूप में दिया जाता है।


काल भैरव मंदिर, उज्जैन

उज्जैन में स्थित यह मंदिर भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को समर्पित है। यहां भगवान को शराब और मांस अर्पित किया जाता है, जिसे भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।


मुनीयंडी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु

मदुरै जिले के वडक्कमपट्टी गांव में स्थित इस मंदिर में हर साल तीन दिन का विशेष उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान भक्तों को चिकन और मटन बिरयानी प्रसाद के रूप में दी जाती है।


विमला मंदिर, ओडिशा

पुरी के जगन्नाथ मंदिर परिसर में स्थित विमला देवी के मंदिर में दुर्गा पूजा के अवसर पर मांस और मछली का भोग लगाया जाता है। बलि के बाद मांस को पकाकर ‘बिमला परुषा’ नामक प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है।


तारकुलहा देवी मंदिर, उत्तर प्रदेश

गोरखपुर जिले में स्थित इस मंदिर में चैत्र नवरात्रि के दौरान खिचड़ी मेला लगता है। इस दौरान देवी को बकरी की बलि दी जाती है और उसका मांस पकाकर भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।


परस्सिनीकड़वु मंदिर, केरल

भगवान मुथप्पन को समर्पित इस मंदिर में मछली और ताड़ी चढ़ाई जाती है। इसे पकाकर प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है।


कालिघाट मंदिर, पश्चिम बंगाल

कोलकाता में स्थित यह 200 साल पुराना मंदिर शक्ति पीठों में से एक है। यहां देवी काली को बकरी की बलि दी जाती है और मांस प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।


तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल

बीरभूम जिले में स्थित इस मंदिर में भी मांस और शराब का भोग चढ़ाया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। भारत के ये मंदिर यह दिखाते हैं कि हिंदू धर्म में केवल एक ही तरह की आस्था नहीं है, बल्कि विविध मान्यताएं और परंपराएं हैं।