×

साइंटिस्ट्स ने ढूंढा असली पाताल का रास्ता! करोड़ों सालों से इस देश में था छिपा

दुनिया में कई ऐसे रहस्य हैं जो अभी तक सुलझ नहीं पाए हैं। इन रहस्यों को सुलझाने के लिए कई वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ से लेकर इस पर अन्य ग्रहों के प्रभाव तक, वैज्ञानिक इन सबके पीछे का रहस्य जानने की कोशिश कर रहे हैं।
 

दुनिया में कई ऐसे रहस्य हैं जो अभी तक सुलझ नहीं पाए हैं। इन रहस्यों को सुलझाने के लिए कई वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ से लेकर इस पर अन्य ग्रहों के प्रभाव तक, वैज्ञानिक इन सबके पीछे का रहस्य जानने की कोशिश कर रहे हैं। कभी-कभी ऐसे रहस्य होते हैं जिनके बारे में लोग सोच भी नहीं सकते। ये रहस्य धरती की गहराइयों में छिपे हैं, जहां इंसानों का जाना संभव नहीं है। लेकिन टेक्नोलॉजी की मदद से इंसान वहां से भी राज खोल रहा है.

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के कुछ वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि समुद्र के नीचे एक गड्ढा है जो पृथ्वी पर अब तक पाए गए किसी भी गड्ढे से बड़ा है। यह गड्ढा किसी दूसरे ग्रह या अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंड से बना है। जब इस चट्टान ने समुद्र तल में इतना गड्ढा बना दिया तो जरा सोचिए कि अगर यह जमीन पर गिरती तो परिणाम क्या होता? इस क्रेटर की चौड़ाई 323 मील से भी ज्यादा है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने अभी तक इसकी जांच नहीं की है और केवल तस्वीरों के आधार पर दावे किए हैं।


वैज्ञानिकों के इस दावे के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा गड्ढा बन गया है। यह समुद्र के बिल्कुल तल पर स्थित है। विशेषज्ञ एंड्रयू फिल्कसन और टोनी येट्स इसके बारे में बताते हैं। उन्होंने बताया कि यह गड्ढा ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में है। उन्होंने उसका नाम डेनिलिकिन रखा। उनके मुताबिक ये दुनिया का सबसे बड़ा क्रेटर है. इसकी चौड़ाई 323 मील यानी पांच सौ किलोमीटर से भी ज्यादा है। इससे पहले दुनिया का सबसे बड़ा क्रेटर दक्षिण अफ्रीका में था। इसकी चौड़ाई 186 मील थी। यानी नया क्रेटर पुराने क्रेटर से 100 गुना बड़ा है।


लाखों वर्ष पहले बनाया गया
वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि डेनिलिक्विन दुनिया का सबसे बड़ा गड्ढा हो सकता है। इसका निर्माण 445 मिलियन वर्ष पूर्व अर्थात लाखों वर्ष पूर्व तक नहीं हुआ था। उस दौरान आसमान से गिरे किसी विशाल उल्कापिंड के कारण समुद्र में यह छेद हुआ होगा। लेकिन समुद्र के नीचे होने के कारण इसके बारे में अब पता चल पाया है। अभी तक इस क्रेटर तक किसी भी इंसान के न पहुंच पाने के कारण विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर वे वहां जाएंगे तो वहां की चट्टान का अध्ययन करने पर और भी कई जानकारियां सामने आएंगी।