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संगीत की दुनिया में शोक: बांसुरी वादक दीपक सरमा का निधन

प्रसिद्ध बांसुरी वादक दीपक सरमा का निधन असम की सांस्कृतिक दुनिया में एक बड़ा आघात है। लंबे समय से बीमार रहने के बाद, उन्होंने चेन्नई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके संगीत ने न केवल असम बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व भारत में पहचान बनाई। जानें उनके जीवन, संघर्ष और संगीत के प्रति उनके योगदान के बारे में।
 
संगीत की दुनिया में शोक: बांसुरी वादक दीपक सरमा का निधन

दीपक सरमा का निधन: असम की सांस्कृतिक धरोहर को लगा झटका




गुवाहाटी, 3 नवंबर। असम की सांस्कृतिक परंपरा को एक और बड़ा धक्का लगा है। प्रसिद्ध बांसुरी वादक दीपक सरमा का सोमवार सुबह निधन हो गया। वे लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। चेन्नई के एक अस्पताल में इलाज के दौरान सुबह लगभग 6:15 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन ने पूरे असम में शोक की लहर दौड़ा दी है, खासकर जब राज्य अभी मशहूर गायक जुबीन गर्ग की असामयिक मौत से उबरने की कोशिश कर रहा था।


दीपक सरमा का जीवन संगीत और संघर्ष से भरा रहा। पिछले कुछ महीनों से वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। पहले उन्हें गुवाहाटी के एक अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन जब उनकी स्थिति बिगड़ने लगी, तो उन्हें बेहतर चिकित्सा के लिए चेन्नई भेजा गया। डॉक्टरों ने हर संभव प्रयास किया, लेकिन वे उन्हें बचाने में असफल रहे। यह दुखद समाचार असम के संगीत प्रेमियों के लिए गहरा आघात बन गया।


नलबाड़ी जिले के पानीगांव में जन्मे दीपक सरमा को बचपन से ही बांसुरी का शौक था। उन्होंने कड़ी मेहनत से न केवल असम, बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व भारत में अपनी पहचान बनाई। उनकी बांसुरी की धुनें लोगों के दिलों को छू जाती थीं। उनकी संगीत रचनाओं में असमिया लोकधुनों की मिठास और भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई का अद्भुत मेल देखने को मिलता था।


दीपक सरमा की बांसुरी की आवाज कई असमिया गीतों और फिल्मों की पहचान बन गई। उन्होंने संगीत में परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संतुलन बनाया। वे संगीतकारों और गायकों के बीच अपनी विनम्रता और सादगी के लिए जाने जाते थे। उनका मानना था कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा को जोड़ने का एक माध्यम है।


जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने कठिनाइयों का सामना किया। लंबे इलाज और अस्पताल के खर्चों के कारण वे आर्थिक तंगी में थे। परिवार और दोस्तों की मदद से वे अपना इलाज करवा रहे थे, लेकिन खर्च लगातार बढ़ते जा रहे थे। अक्टूबर में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी। इसके बावजूद, उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और अंततः उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।


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