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क्या है समृद्धि शुक्ला के अकेलेपन की कहानी? जानें उनके संघर्ष और मानसिक स्वास्थ्य पर विचार

समृद्धि शुक्ला, जो 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में अभीरा का किरदार निभा रही हैं, ने अपने जीवन के कठिन समय और अकेलेपन के अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने बताया कि कैसे लंबे शूटिंग घंटों के कारण उनकी सामाजिक जिंदगी प्रभावित हुई और उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए। समृद्धि ने अपने दोस्तों और परिवार का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उन्हें इस कठिनाई से बाहर निकलने में मदद की। जानें उनके अनुभव और मानसिक स्वास्थ्य पर उनके विचार।
 

समृद्धि शुक्ला का अनुभव: अकेलेपन और मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात

मुंबई, 5 नवंबर। राजन शाही का लोकप्रिय धारावाहिक 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' दर्शकों के बीच हमेशा से पसंदीदा रहा है, जिसमें चार पीढ़ियों की कहानी को दर्शाया गया है।

इस शो में अभीरा का किरदार निभाने वाली समृद्धि शुक्ला ने हाल ही में अपने जीवन के कठिन समय के बारे में चर्चा की।

समृद्धि ने अपने काम और अकेलेपन के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि शूटिंग के दौरान उन्हें खुद के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है, जिससे उनकी सामाजिक जिंदगी प्रभावित होती है।

उन्होंने कहा, "एक समय ऐसा था जब मुझे लगा कि मैं डिप्रेशन और अकेलेपन का सामना कर रही हूं। मुझे अकेलापन महसूस होता था क्योंकि मैं एक ऐसी जिंदगी जीना चाहती थी जिसमें मैं सब कुछ कर सकूं, लेकिन लंबे समय तक शूटिंग करने के कारण खुद के लिए समय नहीं मिल पाता।"

मेंटल हेल्थ और अकेलेपन पर बात करते हुए समृद्धि ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी इन मुद्दों को छिपाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने और मानसिक शांति के लिए सांस लेने की तकनीकें सीखने का निर्णय लिया।

समृद्धि ने बताया कि ब्रीद इन, ब्रीद आउट जैसी तकनीकों ने उन्हें अकेलेपन से बाहर निकलने में मदद की। उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार का विशेष धन्यवाद किया, जिनकी सहायता से वह अपने गहरे विचारों से बाहर निकल पाईं।

उन्होंने कहा कि अच्छे पॉडकास्ट, किताबें और इंटरनेट से यह एहसास होता है कि आप अकेले नहीं हैं।

समृद्धि ने कहा, "परिवार, दोस्त और समाज तीनों ही मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर ये आपके साथ हैं, तो किसी भी परिस्थिति से बाहर निकलना संभव है। हर व्यक्ति के पास एक ऐसा साथी होना चाहिए, जिसके साथ वह अपनी भावनाएं साझा कर सके और महसूस कर सके कि वह अकेला नहीं है।"

--समाचार स्रोत

पीएस/एबीएम